पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 10 : 4
बसंत : 10 : 4
मोलना माते पढ़ि मुसाफ , काजी माते दै निसाफ !
शब्द अर्थ :
मोलना = मुस्लिम शिक्षक ! माते = के लिये ! पढ़ि = पढना ! मुसाफ = मुस्लिम धर्म ग्रंथ ! काजी = मुस्लिम न्याय काराने वाले काजी जो शादी ब्याह कारते है ! माते = के लिये ! दै = देना ! निसाफ = निर्णय , न्याय , निजात छुटकारा !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में हिन्दुस्तान में आये तुर्की धर्म य़ानी मुस्लिम धर्म के मौलाना और काजी के धर्म आचरण पर ध्यान आकार्शित कारते हुवे बाताते है इनकी धर्म दृष्टी ,सोच ऊनके धर्म ग्रंथ कुराण और उसपर की hai चर्चा के मुताबिक ही है इसे ही वे कट्टर मुस्लिंम कहते है जैसे कट्टर विदेशी यूरेशियन वैदिक धर्मी ब्राह्मण वेद और मनुस्मृती के अर्थ को ही धर्म मानते है ! काजी और मौलाना अपने सदविवेक बुद्धी का उपयोग नही करते वे भी पढ़त पंडित है और अधर्म को ही धर्म मान बैठे है ! कबीर साहेब ने मुस्लिंम धर्म के अंध श्रद्धा के उपर कठौर प्रहार किया जैसे वैदिक ब्राह्मण धर्म पर !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतरां
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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