Wednesday, 17 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 10 : 2

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  बसंत  : 10 : 2

योगी  माते  योग  ध्यान , पंडित  माते  पढ़ि  पुरान ! 

शब्द  अर्थ  : 

योगी  माते  = योगी  के  लिये  ! योग  ध्यान  = आसन  और  ध्यान  ! पंडित  माते  = पंडित  , ब्राह्मण , पांडे  के  लिये  ! पढ़ि  = बताना  , पढना !  पुरान = वैदिक  ब्राहाण  धर्म  के  दूय्यम   ग्रंथ  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  में  कहते  है  योगी , हट  योगी  जैसे  गोरखनाथ  आदी  योग  और  योगिक  मुद्रा  ,ध्यान  को  ही  धर्म  मानने  लगे  और उनके  लिये  शिल  सदाचार  की  कोई  किमत  नही  रही ! मूर्दे  को  जगाने  की  झूठी  हट  योगी  पद्धती  ने  सारी  हदे  पार  कर  ली  कुछ  तो  नागा  बने  और  विभिन्न  आसन  मुद्रा  को  ही  धर्म  और  कुण्डली  योग  माया  जगाना  कहने  लगे  लोग  इन  से  डर  दुर  भागने  लगे  वैसे  ही  विदेशी  यूरेशियन वैदिक  ब्राह्मण  धर्मी  पांडे  पूजारीयोने  वेद  और  भेद  , मनुस्मृती  के  जाती  भेद  ऊचनीच  असपृष्यता  , छुवाछुत  आदी  को  अधिक  मजबुती देने  के  लिये  अठराह  पुरण   और  करोडो  देवी  देवता उनके  अवतार  पूजा प्रार्थना  मन्दिर  कथा आदी  कुछ  स्थानिय  लोककथा  किद्वंतिया  और  बहुत  सारा  ब्राह्मण  हितकारी  लाभकारी  दक्षिना वाला  मसाला   ड़ाल  कर  लोगोंको  यही  धर्म  है  बताने  लगे  जाती  वर्ण  छुवाच्छुत  अस्पृष्यता  शोषण  का  धर्म  कथा  और  पाढ  सुनाकर  बताने  लगे  शिल  सदाचार  को  दरकिनार कर  चौरी  झूठ  लालच , पाप  दुषकर्म  ही  धर्म  बनाया  गाया  इससे  न  राजा  बचा न  प्रजा ! शिवाजी  को  लूटा  गया , शाहु का  अपमान किया  गया  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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