Tuesday, 9 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 9 : 1

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  बसंत  : 9 : 1

बसंत  : 9 : 1

एसो  दुर्लभ  जात  शरीर , राम  नाम  भजु  लागू  तीर  ! 

शब्द  अर्थ  :

एसो   = एसा  ! दुर्लभ  = बहुत  प्रयास  के  बाद ! जात  = जाना  ! शरीर  = मानव  जन्म  ! राम  नाम  = चेतान तत्व परमात्मा राम  जो  अमर  अजर   सर्वव्यापी  सार्वभौम  निराकार  निर्गुण  परमात्मा  कबीर  है  ! भजु  = जानु  मानू  ! लागू  तीर  = निर्वांण  , राम   प्राप्ती  ! 

प्रग्या  बोध : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  नव  के प्रथम  पद  में  ही  बताते   है  की  मानव  जन्म  अद्भूत  और  दूर्लभ है  क्यू  की  इसी  मानव  जन्म  मे  मानव  को  शिल  सदाचार   के  धर्म  आचरण  द्वारा  प्रग्या  बोध  हो  सकता  है  अन्य  जीव  जन्तु  पेड  पौंधे  के  जन्म  में  नही  ! इस लिये  मानव  जन्म  अनेक  योनी  य़ानी  जीव  जन्तु  आदी  के  जन्म  मरण  के  भवचक्र  को  पार  करने के  बाद  ही  बडे  सौभाग्य  से  प्राप्त  होता  है  मानव  शरीर  एक  एक  अवयव  अनमोल  है  जो  हमे  धर्म  आचरण  कर  परमात्मा  चेतन  राम  के  समीप  पूहचने मे  मदत  कारते  है  उनको  हमने शिल  सदाचार  सत्य अहिंसा  भाईचारा  समता  ममता   के  धर्म  मार्ग  पर  न  लगाकर मोह  माया  इच्छा  तृष्णा  लालच  झूठ  हत्या  कुकर्म  अहंकार  अधर्म  और  विकृती  भरा  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  धर्म  के  गलत  रास्ते  पर  लगाया  तो  यह  दूर्लभ  मानव  जीवन  पापकर्म  अधर्म  का  बोझ  , भार  सह  नही  पायेगा  और  मानव  जन्म  बेकार  जयेगा  क्यू  की  मृत्यू  के  बाद  हम  कुछ  भी  नही  कर  सकते  और  जन्म  मृत्यू  के  फेरे  में  यूगो  यूगो  भटकते  दुख  झेलते  जायेंगे  ! यही  अवसर  है  यही  अद्भूत  अलौकिक  मानव  जन्म  है  इसे  व्यर्थ  ना  जाने  दे  ! राम  मार्ग  अर्थात  परमात्मा  कबीर  ने  बताये  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  मार्ग  पर  चलकर  अपना  मानव  जीवन  सफल  करे  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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