Thursday, 4 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 7 : 10

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  बसंत  :  7 : 10

बसंत  : 7 : 10

अबकी  बार  जो  होय  चुकाव , कहहिं  कबीर  ताकी  पूरी  दाव  ! 

शब्द  अर्थ  : 

अबकी  बार  = इस  समय , इस  जन्म  में  ! होय  चुकाव  = गर  चुक  गये  ! कहहिं  कबीर  = परमात्मा  कबीर  कहते  है  ! ताकी  पूरी  दाव  = पूरी  ज़िन्दगी बेकार  गई ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  सात  के  अंतिम  पद  दस  मे  अंतता   बताते  है  भाईयों  ये  मानव  जीवन  अद्भूत  और  दूर्लभ  है  अनेक  भवचक्र  और  योनी जन्म  के  बाद  यूगो  यूगो  बाद  मानव  जन्म  प्राप्त  होता  है  ज़िस  मे  धर्म  आचरण  और  प्रग्या बोध  की  मानव  को तरतुद  है  केवल  मानव  जन्म  मे  ही  परमात्मा  चेतन  राम  के  दर्शन और  मुक्ती  का  मार्ग  है  और  वो  है  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म   का  शिल  सदाचार  का  मार्ग  , मानवता  और  भाईचारा  का मार्ग  , सत्य  और  अहिंसा  का  मार्ग  इस  मार्ग  पर  नही  चले  और  माया  मोह  में  फस  कर  अधर्म  विकृत मार्ग  पर  चले  तो ये  दूर्लभ  मानव  जीवन व्यर्थ   जयेगा  और  फिर  युग  युग  भवचक्र  के  फेरे  में  न  जाने  कब  तक  जन्म  मृत्यू  के  फेरे  में  दुख  झेलते  रहोगे  इस  लिये  यही  अवसार  है  मानव  बन  कर  जन्मे  हो  उसे  बेकार  न  जाने  दो  अधर्म  छोडो  जाती  वर्ण  विषमाता  शोषण  छुवाछुत  अस्पृष्यता  असमानता   का  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  अधर्म  की  कुसंगत  छोडो वो  अहितकारक  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण  ,अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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