Tuesday, 2 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 7 : 8

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : बसंत  : 7 : 8

बसंत  : 7 : 8

नियरे  न  खोजै  बतावै  दुरि , चहुँदिश  बागुलि  रहलि  पुरि  ! 

शब्द  अर्थ  : 

नियरे  = नजदिक  ! न  खोजै  = न  खोजते  है  ! बतावै  दुरि  =  दुरके  देवता बताते  है  ! चहुँदिश   = सभी  जगह  ! बागुलि  =  ढ़ोंगी  बगुले  ! रहलि  पुरि  = पूरे  दुनिया  में   फैले  है  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर   बसंत  के  इस  पद  में  बताते  है  संसार  मे  उन  लोगोंकी  भरमार  है  जो   उनके पास उनके  शरीर  मन  मे  स्थित  अजर  अमर  निराकार  निर्गुण  तत्व  चेतन  राम  को  नही  जानये  और  दुर  के  बाहरी   अनेक  मन  गढंत  देवी  देवता  यहाँ  वहा  पत्थर   की  मूर्ती  बनावटी  ढ़ोंगी  अवतार   बाबा  जादुगार  हाथ  चालाकी  वाले  ढ़ोंगी  बगुले  में  ढूंडते  है  और  फसते  है  ! कबीर  साहेब  कहते  परमात्मा  ईश्वर  भगवान  केवल  एक  है  और  वो  हम  सब  में  है  और हम  सब  उसमे  ! उसे  बहार  मत  धुन्डो   बाहर  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मंणधर्म  के  ढ़ोंगी  पांडे  पंडित  संकारचार्य  जैसे  नकली धर्म  बताने  वाले  लोग  सब  जगह  बैठे है  उनको  छोडो अपने अंतर्मन  मे  झाको  देखो  परमात्मा  तुम्हारे  भीतर  है  जरूरत  है  शिल  सदाचार  का  धर्म  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  पालन  करने  की  ! उसका  पालन  करो  तो परमात्मा  चेतान राम  के  दर्शन  हो  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान,   शिवशृष्टी

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