पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 11 : 5
बसंत : 11 : 5
हमरे बलकवा के इहै ग्यान , तोहरा को समुझावै आन !
शब्द अर्थ :
हमरे बलकवा = हमे बालक , बच्चा , नादान कहते है ! इहै ग्यान = पंडित का ग्यान ! तोहरा = तुम्हे ! को समुझावै = को समजाने ! आना = आया !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में कहते की बिदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पूजारी , संकारचार्य खुद को बडे और श्रेष्ठ बताते ग्यानी बताते है और दुसारोंको बच्चे बच्चे कहते है , नादान मूर्ख अग्यानी कहते है पर मै कहता हूँ ब्राह्मण पांडे पूजारी संकारचार्य आदी वैदिक ब्राह्मण धर्म के पांडे खुद मूर्ख अग्यानी और नादान है निच है क्यू की वे वेद और भेद मनुस्मृती ,जाती वर्ण ऊचनीच भेदाभेद अस्पृष्यता विषमता छुवाछुत आदी अधर्म और विकृती का पालन करते है ! कबीर साहेब कहते है हम नही वो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण लोग मूर्ख अग्यानी निच है ! हमारा धर्म मुलभारतिय हिन्दूधर्म तो शिल सदाचार भाईचारा समाता ममता विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण का सनातान पुरातन आदिवाशी आद्य धर्म है जो सिंधु हिन्दू संस्कृती का निर्माता है विश्व का प्रथम नागरी लोकधर्म है ! हमे इस पर गर्व है क्यू की यही सत्यधर्म है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतरां
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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