Monday, 15 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 9 : 7

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  बसंत  : 9 : 7

बसंत  : 9 : 7

ऐसी  जात  देखि  नर  सबहिं  जान , कहहिं  कबीर  भजु  राम  नाम  ! 

शब्द  अर्थ  : 

ऐसी जात  देखि  = इस  प्रकार  से  सब  की  मृत्यू  देखा  ! नर  सबहिं  = नर  नारी  , राव  रंक  , योगी  भोगी,  दानी  कंजुस ! महाराज  सामान्य  लोग  सब  ! कहहिं   कबीर  = परमात्मा  कबीर  बताते  है  !  भजु  राम  नाम  =  मै  निराकार  निर्गुण  चेतन  तत्व  राम  ही  हमेशा  याद  रखता  हूँ  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  नव  के  अंतिम  पद  सात  में  सारांश  में  बताते   है  भाईयों  ये  मानव  शरीर  दूर्लभ  है  इसका  सही  उपयोग  कर  सरल सहज जीवन  मार्ग  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  शिल  सदाचार  का  धर्ममार्ग  का  पालन  करो  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  अधर्म  और  विकृतीभरे  संस्कृती  से  दुर  रहो  उनके  चक्कर मे  यह  अनमोल  मानव  जीवन   व्यर्थ ना  गमावो  जैसे  बली   दूर्योधन   कंस  रावण  ने  अती  के  कारण  अपना   जीवन  व्यर्थ  गमाया  जैसे  योग  और  भोग  मे  मछिन्दर  गोपिचन्द  रावण  ने  गमाया  उनके  देखा  देखि  सामान्य  लोग  भी  अपना  जीवन  सत्य  जाने  बिगर  और  सत्य  हिन्दूधर्म  का  आचारण  किये  बिगर   व्यर्थ  गमा  रहे  है  ! 

कबीर  साहेब  अंत  मे  कहते  है  धर्म  अधर्म  का  भेद  जानो  , अती  ना  करो  अती  से  अहंकार  आता  है  चाहे  दानी  हो  या  सत्ताधिश  याद  रखो  यह  शिवशृष्टी  का  निर्माता  चालक  मालक  केवल एक  तत्व   चेतन  राम  है  जो  हम  सबमे  है  और  हम  सब  उसमे  वो  सब  जानता  है  न  अहंकार  माया  मोह  न  झूठ  न  फरेब  न  उपरी  दिखावा  उससे  छूपा है ! वो  निराकार  निर्गुण  अमर   अजर सार्वभौंम  सर्वत्र  है   उसे  हमेशा  याद  रखो  न  कोई  उससे  बडा  सम्राट  है  न  मालिक   वह  धर्म  अधर्म  , संस्कृती  विकृती  सब  जानता  है  उसे  केवल  शिल  सदाचार  भाईचार  समता  ममाता का  धर्ममार्ग   मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  सरल  सहज  आचरण  से  ही  प्राग्य  बोध   द्वारा  जाना  जा  सकता  है  तभी  मानव  जीवन  सार्थक  होता  है  अन्यथा  नही  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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