Friday, 12 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 9 : 4

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : बसंत  : 9 : 4

बसंत  : 9 : 4 

छौं  चकवैं  मंडली  के  झारि , अजहूँ  हो  नर  देखु  बिचारि  ! 

शब्द  अर्थ  : 

छौं  = छ  ! चकवैं   = चक्रवर्ती  राजा  , माहाराजा ! मंडली  = भु  मंडल , पृथ्वी  पर , धरती  पर  ! झारी  = अधिकारी  , मालिक  ! अजहूँ   = अभीभी  ! नर  = कुछ  लोग  ! देखु  बिचारि  = वैसे  होना  चाहते   है  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत के  इस  पद  में  बताते  है  इस  धरती  पर  लोग  कहते  है  बडे  बडे  राजा माहाराजा  हुवे  है  ज़िनमे  छ  को  तो  पुरे  धरती के  मालिक  चक्रवर्ती  माना  गया  आज  भी  लोग  उनके  उदाहरण  देते  है  और  कुछ  तो  उनके  जैसे  चक्रवर्ती  सम्राट  राजाधीराज  बनना  चाहते  है  पर  जरा  विचार  करो  ये  आज  कहाँ  है  ? कोई  अमर  और  सदा  के  लिये  नही  siway एक  अमर  अजर  निराकार  निर्गुण  चेतन   तत्व  राम  के  शिवाय  ! 
विचारी  लोग  वो  है  जो  इस  तथ्य को  जानते   है  सत्य  को  जानते  है  चक्रवर्ती  सम्राट  कोई  नही  उस  चेतन  राम  के  शिवाय  ! बाकी   तो  आये  गये  है  मर्त्य  है  मालिक  कोई  नही  सब  अहंकार  माया  मोह  का  भ्रम  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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