पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 11 : 3
बसंत : 11 : 3
बहु विधि भवने लागु भोग , एसो नग्न कोलाहल करत लोग !
शब्द अर्थ :
बहु विधि = अनेक प्रकारके अच्छे बुरे कर्म ! भवने = ईमारत , भवन , घर ! लागु भोग = हासिल करना ! एसो नग्न = बेशर्म ! कोलाहल = करकश आवाज ! करत लोग = करते है लोग !
प्राग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में लोग बडे लालाची माया मोह भरे है एक मकान से उनका दिल नही भरता वे अनेक बडे बडे महल सही गलत रास्ते से खडे करते है पुरी भुमी पर अपना कब्जा चाहते है इनकी चाहत इच्छा की कोई सीमा नही ! धन संपत्ती की हाव और विलासी जीवन यही अधिकतर लोगोंकी इच्छा है और नर्तकी वेश्या नाच गाना मदिरा हत्या बलातकार , झूठ फरेब दिखावा ही लोगोंका जीवन बन गया है ! पांडे पंडित बडे बडे लोगोंसे कोलाहल भरे य़ग्य , होम हवन य़ग्या बली का आयोजन कर लोगोंको फुसला बहला रहे है सब दिखावा है अधर्म है विकृती भरे आयोजन है मोनोरजन है धर्म शिल सदाचार परोपकार लोक कल्याण सब कुछ खो गाया है ! समाज की बडी दुखद अवस्था है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
No comments:
Post a Comment