बसंत : 9 : 5
हनुमत कश्यप जनक बालि , ई सब छेंकल यम के द्वारि !
शब्द अर्थ :
हनुमत = हनुमंत , हनुमान , बजरंग बली , केसरी , एक रामायण पात्र ! कश्यप = एक ऋषी , एक बुद्ध पुरूष ! जनक = रामायण एक पात्र , सिता के पिता ,जनकपुरी राजा ! बालि = एक मुलभारतिय प्रतापी महादानी राजा ज़िसको वामन नामके ब्राह्मण ने फसाया ! ई सब = ये सब ! छेंकल यम के द्वारि = मृत्यू लोंक में पहूच गये !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में हनुमंत अर्थात हनुमान , ऋषी कश्यप , जनक यानी रामायण के सिता के पिता और महाप्रतापी महादानी राजा बली सुग्रीव का बंधु प्रतापी राजा बाली ज़िसने रावण को परास्त किया था इन सबको लोक मान्यता अनुसार अमर माने जाते है पर इनके अमर होने के बात का खण्डन करते हुवे कबीर साहेब कहते है ये सच नही है ये सभी लोग भलेही कितने अच्छे ,धर्मिक प्रतापी दानी परोपकारी क्यू न रहे हो थे तो मर्त्य मानव ही और सभी लोग मृत्यू को प्राप्त हुवे है कोई अमर नही जैसे की कुछ विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी इन की देखा देखी कुछ गलत और बेकार पापी ब्राह्मण जैसे परशुराम , अस्वस्थामा आदी को भी अमर होने की झूटी बात फैलाते है ! वस्ताव मे परशुराम को मुलभारतिय मौर्य कुल राजा सम्राट संप्रती अर्थात अर्थात सम्राट अशोक पुत्र अंध कुणाल का बेटा और सम्राट दशरथ का भतिजा राम ही संप्रती है ज़िसपर रामायण काव्य लिखा गया है ! ह्नुमंत कष्यप जनक बाली सभी मुलभारतिय हिन्दूधर्मी गैर ब्राह्मण पात्र है जो महान तो हुवे है पर अमर नही जैसा लोक कहावत मे बताया जाता है ! केवल एक ही अजर अमर तत्व है और वो है चेतन राम जो निराकार निर्गुण सर्वव्यापी सार्वभौम है ज़िसके दर्शन केवल प्रग्या बोध से संभव है और उसका मार्ग है शिल सदाचार का मार्ग मुलभारतिय हिन्दूधर्म मार्ग जो स्वयम धर्मात्मा परमात्मा कबीरवाणी पवित्र बीजक है !
धर्मविक्रमादित्य कबिरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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