#मुलभारतिय_हिंदूधर्म_और_संस्कृती_त्योहार !
मुलभारतिय हिन्दूधर्म और संस्कृती इस देश की आद्य सनातन पुरातन संस्कृती और धर्म हैं ! लोगधर्म संस्कृती हैं !
जो लोग हिंदूधर्म नही हैं कहते हैं वे दूसरी तरफ हिंदू संकृती हैं कहने मे नही थकते इन मे दो धर्मो के लोग प्रामुखता आहे हैं एक विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी और दुसरे देशी बौद्धधर्मी ! ये दोनो हिंदूधर्म हैं ही नही कहते हैं यहाँ तक की दोनो कहते हैं हिंदू पारसी भाषा मे गाली हैं चोर , काला इत्यादी दोनो इस मामलेमे विदेशी यूरेशियान ब्राह्मण दयानंद तिवारी के चेले हैं ! ये हिंदू को गाली तो कहते हैं पर फिलहाल हिंदू संस्कृती हैं जरूर कहते हैं ! हिंदू धर्म नही तो संस्कृती कैसे ? इनके पास इसका कोई जबाब नही होता हैं !
ये कहते हैं हिंदू शब्द गाली हैं हिंदू भारतीय , हिंदुस्तानी शब्द नही जब की पूरा विश्व हिंदू यानी नेटीव , मुलभारतिय कहता हैं मानता हैं !
हिनयान शब्द बौद्धो के एक पंथ का हैं और हीन का उसका अर्थ हैं सामान्य वर्ग ! जनरल ! यह बौद्धो का बड़ा वर्ग हैं ! हीन का अर्थ काला या चोर नही ! बौद्धो को अपने ही शब्द कोषा और उनके अर्थ पर विश्वास नही ! वैसे भी बौद्ध जैन मुलभारतिय हिंदूधर्म के ही पंथ हैं ! मराठी मे एक कहावत कुराडी चा दांडा गोताला काल ! यानि रिस्तेदार ही रिस्तेदार का दुष्मन हैं !
विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी यहाँ के समतावादी मुलभारतिय हिंदूधर्म के मुल अमृत वृक्ष पर अपनी वेद और भेद वाली विषमतावादी विषवृक्ष की डाल प्रात्यारोपित की जीसे वर्ण जाती भेदाभेद ऊचनिच अस्पृष्यता के विश्यले फल आना स्वाभविक था !
हिंदूधर्म ये शब्द कायम रख विदेशी ब्राह्मण ये खेल खेलते रहे पर अब उनको यह शब्द हिंदू हटा कर वैदिकधर्म कहना हैं इस लीये हिंदू धर्म नाम का कोई धर्म ही नही कह रहे हैं पर उनका हिंदू संकृती शब्द को फिलहाल कोई विरोध नही जैसे ही वो वैदिकधर्म शब्द रूढ करेंगे बाद मे वो हिंदू की कोई संस्कृती भी नही कहना शुरू करेंगे और भारत ,हिंदुस्तान नही इसे वेद भूमि कहना शुरू करेंगे इसमे वे कितना सफल होते हैं यह समाय ही बता पायेगा !
जैनधर्म भी मुलभारतिय हिंदूधर्म का एक पंथ हैं बौद्धो के पहले का हैं पर उनका हिंदू शब्द धर्म , हिंदू संस्कृती को कोई विरोध नही ! ना वो हिंदू शब्द को गाली मानते हैं न कहते हैं !
बौद्धो का हिंदू शब्द को विरोध उनके ना समजी के कारण हैं वे भूल ज़ाते हैं डॉ. आम्बेडकर हिंदू कोड बिल बनाया हैं और हिंदू की व्याख्या मे जैन सिख बौद्ध शामिल किया हैं वैदिक ब्राह्मणधर्म नही !
हिंदूधर्म भी हैं और संस्कृती भी हैं अब यह बात जगजाहीर हैं ! हिंदू मतलब मुलभारतिय , नेटीव , आदिवाशी ! और हिंदू धर्म सनातन पुरातन आदिवाशि समतावादी लोक तांत्रिक लोकधर्म हैं जिसने संसार को सभ्य नागरिक संस्कृती सिन्दू हिंदू संस्कृती भी दी हैं !
हिंदूधर्म के सण त्योहार भी लोक उत्सव आनन्द के लिये हैं जैसे दिवाली ! कृषी और नागरिक संस्कृती का बेमिसाल मिलाप हैं दिवाली !
दिवाली की सब को हार्दिक शुभकामनाये !