Friday, 31 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 21

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  : चाचर  : 1 : 21

चाचर  : 1 : 21

दृष्टी  परे  उन काहु  न  छाड़े , कै  लीन्हो  एकै  धाप  ! 

शब्द  अर्थ  : 

दृष्टी परे   =  आँख  से  देखा  !  उन  = उसे  ! काहु  न  छाड़े  = किसी  को  नही  छोडाती  ! कै  = कितने ! लीन्हो  एकै  धाप  = एक  ही  घास  में  चबा जाना  ! 

प्रग्या  बोध  :

परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में बताते है की  माया  मोह  इच्छा  तृष्णा  वासना  बहुत  ही  फूर्तिली  है  किसी  पर  दृष्टी  पडी  नही  की  वो  उसे  चाहती  है  , दृष्टी  मे  आने  वाली  हर  चिज  को  वो  बडे  लालच  भरी  निगाहे  से  देखती  है  और  एक  झपटे मे  उसे  हाँसिल  करना  चाहती  है  निगाहे  इतनी  कातिल  होती  है  की  एक  ही  घास  मे  ग्रास मे  उसे  निगलना  चाहती  है  !  कबीर  साहेब  तृष्णा  का  रूप  और  उसके  काम  का  तारिका  बताते  है  ताकी  उसके ग्रास  से  बचा  जा  सके  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Thursday, 30 October 2025

Devaachi Utarand ! Daulatram

#देवाची_ऊतरंड  ! 

हिन्दू  समाजा  मधे  देवघर  अनेक  देवी  देवता  ने सजलेले  असते  

कुल  देवता  एक  किव्हा  अनेक  असतिल  तर  त्यांच्या  प्रतिमा  चे  टाक  चान्दी  , तांबे  , सोने  या  धातु  चे  आपल्या  एपती  प्रमाणे  बनविलिले   असतात  ! नंतर  समाजाचे  संत  , गुरू  यांचे  सुद्धा  फोटो  वा  मूर्ती  ठेवली   असते  ! 

वरिष्ठ  देवता  मधे  गणपती ,  दूर्गा ,  सरस्वती  लक्ष्मी , राम ,   कृष्ण  असतात 

पशु  पक्षी  वृक्ष   दगड , फुल  यांत  नन्दी  , नाग  , कमल तुलसी , पिंपल , बेल  व  वट , शालिग्राम  हे  देव  किव्हा   देवांना  प्रिय  समजले   जातात  ! महादेव शिव  शंकर  एकुणच  कुटुम्ब  व  गण  नाग  देवा  प्रमाणे  पूज्यनिय  समजले  जातात  आणी  राम  कृष्ण  आदिचे  आराध्य  नागधारी  शिव  शंकर  हेच  समजले  जाते  ! बहुतिक  सर्वमुलभारतिय  हिन्दूधार्मियांनी  शिवाला  आदी  देव  आदीनाथ   देवादी  देव  माहादेव  मानले  आहे आणी  नागवंशी  आदिवाशींचे  ते  पूर्वी  पासुन  चे  सर्वोच्च  देव  राहिले  आहेत  ते   शिवपिंड  म्हणुन  !   

निराकार  शिव  हा  असा  पूढे आकार व  रूप  देवून    पूढे  जैंन  बौद्ध  यांनी  साकार  रूपात  आणला , मूर्ती  पूजा  पूढे  आली  ! 

सर्वोच्च  देवता   मधे  अर्थातच  शिव  महादेव  शंकर  समजला  जातो  ! 

हिन्दूधर्म  एकेश्वरी  धर्म  असुन  सुद्धा  मानव  जन्म  घेतलेले  शिव  राम  कृष्ण  बुद्ध  यांना  एक  ईश्वर   चे   अंश  ज्यांनी  विदेशी  यूरेशियन   वैदिक  ब्राह्मणधर्म   च्या  विषमाता  शोषण  जाती   वर्ण  वाद  ब्राह्मण  वाद  मनुवादी  विरुद्ध समाज  राष्ट्र  व  धर्मा   साठी  लढले  म्हणुन  त्यांना  देव  समकक्ष  समजून  पूजा  केली  जाते  जसे  विठ्ठल  , साई  बाबा  हे  सुद्धा  देवा  चे  अंश  वा  देव  समजले  जातत  ! 

साई  बाबा  स्वताला  परमात्मा  कबीर  चे  अवतार   वा  अंश  म्हणत  असत  ! स्वता  कबीर  मात्र  जरी  एकेस्वरी  परमात्मा  वादी  होते  तरी  त्यांनी  निराकार निर्गुण  अविनाशी   अजर  अमर  तत्व  चेतन  यास   राम  अर्थात  जो  मरा  नही असे  तत्व  चेतना  यास  परमात्मा  शृष्टी  चा  निर्माता  चालक मालक   सांगितले  व  सर्व  काही  चेतन  तत्व  हेच  आहे  सांगितले  त्या  मुले  त्यांनी  मूर्ती  पूजा , अवतार  ही  कल्पना  नाकारून   शिल  सदाचार  भाईचार  समता  ममता  शोषण  रहित  समाज  निर्मिती  सदधर्म  हेच  परमात्मा  प्राप्ती  चे  मार्ग  होत  असे  सांगितले  !   त्यांचा  सर्वोच्च  परमात्मा  म्हणजे   चेतनतत्व  निराकार  निर्गुण  अजर  अमर सार्वभौम  राम  जे  ते  स्वता  त्या  अवस्थेला  होते  ! 

मुलभारतिय  हिन्दूधर्माचे  सर्वोच्च  देव  शिल  सदाचार  हेच !  त्या  शिवाय  सर्व  पूजा ,  सोपस्कार , अर्चना  , प्रार्थना   आणी  जीवन  सुद्धा  व्यर्थ  होय  ! 

#दौलतराम

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 19

पवित्र बीजक  : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 19

चाचर  : 1 : 19

शिवसन  ब्रह्मा  लेन  कहो  है , और  की  केतिक बात  ! 

शब्द  अर्थ  : 

शिवसन  =  शिव  को  मानने  वाले  मुलभारतिय  हिन्दूधर्मी  !  ब्रह्मा  =  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  का  निर्माता  ! लेन  कहो  = लेने  पर  मजबुर  हुवे  ! और  की  = अन्य  की  !  केतिक  बात  क्या  बात  करना ! 

प्रग्या बोध  : 

परमात्मा कबीर चाचर के  इस  पद में बताते है  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्मीयोने  अवतारवाद  लाकर  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  लोक  देवता  खुद  शिव  को  एक  अवतार  बना  दिया  और  त्रीदेव  की  कल्पना  गढ  ड़ाली , मुलभारतिय  कितने  ही  लोगोंको  अवतार  बनाया  जैसे  राम  कृष्ण  बुद्ध  और  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  मे  उनका  ब्राह्मणीकरण  कर  उन्हे  जाती  वर्ण  मे  बन्दिस्त  किया  तो  और  छोटे  मोटे  लोग  राजा  साधु  संत  की  क्या  बात  ! 

 विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म  से  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  अलग  है  ये  बात  मुलभारतिय  लोगोने  समझना  आवश्यक  है  जरूरी  है !  अवतारवाद  की  कल्पना  ठुकराना  होगा  !  लंपट  ब्रह्मा  के  साथ  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  कोई  संबध  नही  यह  बताना  होगा !  राम  कृष्ण  बुद्ध  महाविर  आदी  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  खिलाफ  थे  ,  वर्ण जाती जनेऊ  होम  हवन  ऊचनीच  भेदाभेद  अस्पृष्यता  छुवाछुत  शोषण  के  विरोध  मे  खडे  हुवे  थे  यह   बताना होगा !   इनको  विदेशी  यूरेशियन वैदिक  ब्राह्मणधर्म  से  मुक्त  कर  स्वतंत्र  करना  होगा  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 20

पवित्र  बीजक  :  प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 20

चाचर  : 1 : 20 

एक  ओर  सुर  नर  मुनि  ठाढ़े , एक  अकेली  आप  ! 

शब्द  अर्थ  : 

एक  ओर   = एक  तरफ  , एक  पलडे  में  ! सुर  = राजे  , महाराजे   , सुरवीर !  नर  = सर्व  सामान्य  लोग  ! मुनि  = सन्यासी  , ग्यानी  ! ठाढ़े  = बिठाये  , खडे  किये  ! एक अकली आप   = एक  माया  , मोहनी   , तृष्णा  , इच्छा  सब  पर  भारी   ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  माया  मोह  तृष्णा , इच्छा  का  पडला  कितना  भारी  है  यह  समजाते  हुवे  कहते  है तराजू  के  एक  फलडे  में सभी  सामान्य  नर  नारि  , ग्यानी  मुनि  , राजा  महारजा  सभी  बीठावे  तोभी  एक अकेली तृष्णा  माया  मोह  इच्छा  वासना  का  पलडा  तबभी    भारी  है  ! कोई  माया  को  ज़ित  नही  सकता  जब  तक  कोई  इंसान  शिल  सदाचार  का  धर्म  पालन  नही  करता  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 18

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  : चाचर  : 1 : 18

चाचर  : 1 : 18

ग्यान  ड़ाँग  ले  रोपिया , त्रिगुण  दियो  है  साथ  ! 

शब्द  अर्थ  : 

ग्यान  =  हुशारी  , शिक्षा  ! ड़ाँग  = ड़ाल  , पेड   ! ले  = लेकर  आये  ! रोपिया  = प्रात्यारोपित  किया  , लगाया  ! त्रिगुण  = मानव  के  स्वाभव  , तिन  देव  का  विचार !  दियो  है  साथ  = धर्म  मान्यता  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है  विदेशी  यूरेशियन  वैदिकधर्मी  ब्राहमिनो  ने  धर्म  ग्यान  के  नाम  पर  जो  वेद  और  भेद  ऊचनीच  जनेऊ  अस्पृष्यता  विषम0ता  छुवाछुत  का  अधर्म  और  विकृती  अपने  साथ  यूरेशिया  से  हिन्दुस्थान  मे  अपने  साथ  लाई  उस  गंदी  ड़ाल  को  शाखा  को  यहाँ  के  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  मूल  वृक्ष  पर  प्रात्यारोपित  किया  ज़िसको  वही जाती  वर्ण  अस्पृष्यता  भेदभाव  के  विष  भरे  फल  आये  !  उपर  से  इन  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  धर्मियोने  मानव  मानव  मे  भेद  ऊचनिच   बनाने  के  लिये  त्रीगुण  सत  रज  तम  की  गलत  धारणा  निर्माण  कर अस्पृष्यता   विषमता  शोषण  को  धर्म  कहने   लगे  !  धर्मात्मा  कबीर  ने  इस  त्रिगुण  विचार  ,  त्रीदेव  ब्रह्मा  विष्णु  महेश  आदी  बकवास को  सिरे  से  खारीज  किया   ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबिरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Monday, 27 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 16

पवित्र  बीजक : प्रग्या बोध  : चाचर  : 1 : 16

चाचर  : 1 : 16 

छिलकत  थोथे  प्रेम  सों , मारे  पिचकारी  गात  ! 

शब्द  अर्थ  : 

छिलकत  = छलकना  , दिखावटी  , नकली ! थोथे  =  बिना  काम  का  ,अधुरा  , बनावटी  ! प्रेम =  प्रित  , मैत्री !   सों  = वह  , वे  लोग  !  मारे  पिचकारी  गात  = होली  के   गाली  भरे  गीत  ! 

प्रग्या  बोध  :

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  दिखावटी  प्रेम  पर  कटाक्ष  करते  हुवे  कहते  है  विदेशी  ब्राहमिनोकी  प्रित  होली  के  रंग  जैसी  है  ज़िस  पर  प्रेम की  पिचकारी  मारी  जाती  है  उसका  कपडा  खराब  कर  नुक्सान  ही  करती  है  , बेरंग  करती  है  इनकी  प्रित  होली  के  उन  गानो  जैसी  ही  है  जाहाँ  प्यार  कम   गाली  अधिक  होती  है  !  ये  ब्राह्मण   बहुत  दिखवा  करते  है  ग्यानी  होने  का धर्म  का  पर  सब  झूठ  और  थोथे  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Sunday, 26 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh ; Chaachar : 1 : 15

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  चाचर  : 1 : 15

चाचर  : 1 : 15 

सनक  सनन्दन  हारिया ,  और  की  केतकी  बात  ! 

शब्द  अर्थ  : 

सनक  - सनन्दन = भागवत  पुराण  में  बताये  चार  बालक   सनक , सनन्दन  , सनातान  और  सनतकुमार   बडे  विरंची  समझे  जाते  है  ! हारिया  = हार  गये  ! और  = अन्य  ! केतकी  बात = कितनी  कहें ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  भागवत  पुराण  जो  वास्तव  में  भगवान  बुद्ध  से  लेकर  मौर्य  काल  के  राम  कृष्ण  आदी  के  ज़िवनी  पर  आधारित  है  उसमे  भगवान  बुद्ध  के  चार  मानस  पुत्र  सनक , सनन्दन , सनातन  और  सनतकुमार  ज़िन्होने  ब्राह्मणधर्मी  नारद  को  बौद्ध  भीक्कु  बनाया  था  वे  भी  हार  गये  इस  लिये  कहाँ  जाता  है  क्यू  की  किसी  समय  नारद  विरंचीपन  त्याग  कर  संसारी  बने  थे  ! इन्हे  बाद  में  विदेशी  यूरेशियन वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  ब्रह्मा  के  मानस  पुत्र  बताये  गये जो  बचपन  से  ही  विरंची  थे  ! शायद  ये  सभी  बुद्ध  के  बच्चौ  के  लिये  बनाये  गये श्रामनेर  संघ  के  सदश्य  रहे  हो  जैसे  राहुल  थे  और  बुद्ध  सभी बाल श्रामनेर  को  अपने  मानस  पुत्र  ही  मानते  थे  ! 

वैदिक  ब्राह्मणधर्म  ने  बुद्ध  की  नकल  कर  श्रामनेर  को  बटु बना  दिया  और  उसके  लिये  जनेऊ  संस्कार  निर्मांण  किया  ये  बटु  भी  घर  घर  जा  कर  भिक्षा  मांगते  थे  जैसे  श्रामनेर  , बौद्ध  भीक्कु  ! वामन  नाम  का  एक  ब्राह्मणधर्मी  बटू   को  राजा  बली   ने  केरला  मे  कुछ  भुमी  दान  दी  वही  कोंकण  केरला   में  विदेशी  वैदिक  ब्राह्मण टोलिया  बनाकर  बस  गये  और  बाद  में  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  कर्मकांड होमहवन, वर्णभेद  विषमाता आदी  का  प्रचार  करते  रहे  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Daulatram se Daulatram !

#दौलत_से_दौलतराम !

नमस्कार ! बन्दगी ! वंदन !

माँ बाप ने नाम रखा #दौलत ! दौलत माने दृष्य संसार , अनंत विश्व ! 

दौलत डोमाजी राऊत संसारिक #मुलभारतिय , #नेटिविस्ट हुवा , #नेटीव_रूल_मुव्हमेंट बना #नेटिविस्ट_डीडी_राऊत तब भी कुछ अधुरा था ! #नेटिविज्म अधुरा था जब तक #नेटीव_हिंदुत्व नही ! नेटीव हिंदुत्व जुडा , #मुलभारतिय_हिंदूधर्म_विश्वपीठ बना तो नेटीवीस्ट डी डी राऊत फिर दौलतराम बना ! 

दौलत यानी #संसार और राम यानी #चेतन_तत्व निराकार निर्गुंण अमर अजर #राम जो मरता नही ! दौलतराम ये है ! #परमात्मा_कबीर की असीम कृपा से #प्रग्या_बोध हुवा ! संसारी जीवन सार्थक हुवा ! #कबीरसत्व की प्राप्ती हुवी मन निर्मल #परमहंस हुवा ! #सत्य_हिंदूधर्म की जय हुवी ! #धर्मविक्रमादित्या हुवा , जगत को मुलभारतिय हिंदूधर्म के #कबीरवाणी #पवित्र_बीजक से ग्यान दृष्टी बाटी , शिक्षक , गुरु हुवा , #जगतगुरु #मुलभारती हुवा ! #मुलभारतिय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ का #आद्य_धर्मपीठ #संस्थापक हुवा ! #दौलत_से_दौलतराम हुवा !

जय हिन्द ! जय नेटीव !!

#दौलत_से_दौलतराम

Saturday, 25 October 2025

Native Roar ! Native Garjanaa !

#नेटीव_गर्जना !

नेटीव रूल मुव्हमेंट चे खूले पत्र 

नेटीव रूल मुव्हमेंट ची स्थापना 1 जानेवारी ,1970 ला पवनी ज़िल्हा भंडारा , महाराष्ट्र येथे नेटिवीस्ट डी डी राऊत ने केली ! 

विचार : 

नेटिवीज्म आणी नेटीव हिन्दुत्व ! 

कार्य : 

स्थापना  

मुलभारतिय विचार मंच 1978
नेटीव पिपल्स पार्टी 1992
सत्य हिन्दूधर्म सभा 1993
कास्टलेस सोसाय़टी ऑफ इंडिया 2024
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्व पीठ 2024

नारे : 

विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो ! 
हिन्दूधर्म और ब्राह्मणधर्म अलग अलग है ! 
हिन्दू वही जो ब्राह्मण नही ! 
हिन्दुत्व वही ज़िसमे ब्राह्मण बिलकुल नही !
ब्राह्मण एक वर्ण सवर्ण 3 टक्का है बाकी सभी मुलभारतिय 97 टक्का है ! 
आरक्षण नही , पूर्ण नेटीव रूल ! 

नेटीविस्ट डी डी राऊत

Friday, 24 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 14

पवित्र बीजक :  प्रग्या बोध  : चाचर  : 1 : 14

चाचर  : 1 : 14

सुर  नर  मुनि  औ  देवता , गोरख  दत्त  औ  ब्यास  ! 

शब्द  अर्थ  : 

सुर  = बलशाली  , राजा , नरेश  ! नर  = सामान्य जन  ! मुनि  = जैनी  , भीक्कु  ! देवता  = दानी  , धनी  ! गोरख  = हट  योगी  ! दत्त  = वैध  संतान  ! ब्यास  = लेखक  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  माया  ने  किसे  किसे  लुभाया  है  उसके  कुछ  उदाहरण  यहाँ  दिये  है  ज़िसमे  ज़हाँ   सामान्य  लोग  है  ही  बालशाली  राजा  महाराजा  धार्मिक  रूषी  जैनी  भीक्कु  भी  नही  छूटे  है ,   ना  धनी  और  दानी  छूटे और  तो  और  प्रसिद्ध  हट  योगी  गोरख  जो  गोरख  धन्धे  के  लिये  जाने  जाते  है  और  पागल  लावारिस  दत्त जो  किसी  पेड के  निचे  लावारिस  कुत्ते  गाय के  साथ  पडे  रहते थे  ज़िसे  के  अनेक  बाप माने  जाते  है  और  लेखक कवी  व्यास  जो  महाभारत  के  रचियता  माने  जाते  है  ज़िसने  गिता  भी  बताई  वो  भी नही  छूटे  !  सब  को  मोह  माया  ने  मोहित  किया  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्त्तान  , शिवशृष्टी

Thursday, 23 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 13

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 13

चाचर  : 1 : 13 

खेलनहारा  खेलि  हैं , बहुरि  न  वाकी  दावैं  ! 

शब्द  अर्थ  : 

खेलनहारा  = परमात्मा  चेतन  तत्व  राम  ! खेलि हैं   = खेलता  है   ! बहुरि    = बाहरी  ! न  = नही  ! वाकी  = उसकी  ! दावैं  = दावपेच  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  बताते  है   जो  चेतन  तत्व  राम  है  उसकी  अपनी  बाहरी  कोई  विभिन्न  चाल  नही  ! तुटना जुड़ना  यही  उसकी  गती  है  !  वह  निराकार  निर्गुण  अविनाशी  किसी  को  न  कोई  दुख  देता  है  न  सुख देता  है  न  किसी  से  बदला लेता  है  न  अहंकार  करता है  जब  की  वही  सब  का  निर्माता  और  मालिक  है  ! उसकी  गती इच्छा  आप   के  समझ के  परे  है  !  वो  कब  क्या  करे  उसी  की  शोभा  है !  

वह  केवल  आप  मे  चेतना  स्वरूप   है  जो  कुछ  करते  हो तुम  स्वयं करते  हो  ग्यान  इन्द्रिय  का  सदपयोग य़ा  दूर्पयोग  आप  की  प्रग्या   पर  निर्भर  करता है  ! धर्म  अधर्म  का  पालन  कर  सुख  या  दुख  का  निरधारण  तुम  खुद  करते  हो  इस  लिये  शिल  सदाचार  का  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  पालन  करो  ! विकृत  अधर्म  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  वेद  मनुस्मृती त्याज्य  है  , अहितकारी  है , पाप  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Tuesday, 21 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh ; Chaachar : 1 : 10

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 10

चाचर : 10 : 1

अनहद धुनि बाजा बजै , श्रवण सुनत भौ चाव ! 

शब्द अर्थ : 

अनहद = बिना बजाये ! धुनि = ध्वनी , आवाज ! बाजा = यन्त्र ! बजै = बजता है ! श्रवण = शरीर के कान ! सुनत = सुनते है ! बहुत चाव = मन पूर्वक ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में कहते है इस शरीर की बनावट बहुत ही अद्भूत है ! जब तक ज़िन्दा है शरीर मे एक एसी आवाज गुंजती रहती है ज़िसको कोण निकाल रहा है कोई नही जानता ! पर कान खुद सुनता है ! लोग इसे मन की आवाज अंतर आत्मा की आवाज , वृदय की आवाज कहते है ! यही आवाज माया की आवाज भी है ! मोह की आवाज भी है और इच्छा तृष्णा की आवाज भी ! इस अनहद आवाज को ठिक से पहचानो जानो यह माया मोह इच्छा तृष्णा की आवाज है या चेतान तत्व राम ने दी हुवी प्रग्या बोध की आवाज ! धर्म की आवाज या अधर्म की आवाज ! सत्य की आवाज या असत्य की आवाज ! ग्यानी वही है जो इसके शुक्षम भेद को तुरंत पहचान लेते है और अधर्म पाप से बचते है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Sunday, 19 October 2025

Hindu Dharm ! Daulatram

#मुलभारतिय_हिंदूधर्म_और_संस्कृती_त्योहार !

मुलभारतिय हिन्दूधर्म और संस्कृती इस देश की आद्य सनातन पुरातन संस्कृती और धर्म हैं ! लोगधर्म संस्कृती हैं ! 

जो लोग हिंदूधर्म नही हैं कहते हैं वे दूसरी तरफ हिंदू संकृती हैं कहने मे नही थकते इन मे दो धर्मो के लोग प्रामुखता आहे हैं एक विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी और दुसरे देशी बौद्धधर्मी ! ये दोनो हिंदूधर्म हैं ही नही कहते हैं यहाँ तक की दोनो कहते हैं हिंदू पारसी भाषा मे गाली हैं चोर , काला इत्यादी दोनो इस मामलेमे विदेशी यूरेशियान ब्राह्मण दयानंद तिवारी के चेले हैं ! ये हिंदू को गाली तो कहते हैं पर फिलहाल हिंदू संस्कृती हैं जरूर कहते हैं ! हिंदू धर्म नही तो संस्कृती कैसे ? इनके पास इसका कोई जबाब नही होता हैं !

ये कहते हैं हिंदू शब्द गाली हैं हिंदू भारतीय , हिंदुस्तानी शब्द नही जब की पूरा विश्व हिंदू यानी नेटीव , मुलभारतिय कहता हैं मानता हैं !

हिनयान शब्द बौद्धो के एक पंथ का हैं और हीन का उसका अर्थ हैं सामान्य वर्ग ! जनरल ! यह बौद्धो का बड़ा वर्ग हैं ! हीन का अर्थ काला या चोर नही ! बौद्धो को अपने ही शब्द कोषा और उनके अर्थ पर विश्वास नही ! वैसे भी बौद्ध जैन मुलभारतिय हिंदूधर्म के ही पंथ हैं ! मराठी मे एक कहावत कुराडी चा दांडा गोताला काल ! यानि रिस्तेदार ही रिस्तेदार का दुष्मन हैं !

विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी यहाँ के समतावादी मुलभारतिय हिंदूधर्म के मुल अमृत वृक्ष पर अपनी वेद और भेद वाली विषमतावादी विषवृक्ष की डाल प्रात्यारोपित की जीसे वर्ण जाती भेदाभेद ऊचनिच अस्पृष्यता के विश्यले फल आना स्वाभविक था !

हिंदूधर्म ये शब्द कायम रख विदेशी ब्राह्मण ये खेल खेलते रहे पर अब उनको यह शब्द हिंदू हटा कर वैदिकधर्म कहना हैं इस लीये हिंदू धर्म नाम का कोई धर्म ही नही कह रहे हैं पर उनका हिंदू संकृती शब्द को फिलहाल कोई विरोध नही जैसे ही वो वैदिकधर्म शब्द रूढ करेंगे बाद मे वो हिंदू की कोई संस्कृती भी नही कहना शुरू करेंगे और भारत ,हिंदुस्तान नही इसे वेद भूमि कहना शुरू करेंगे इसमे वे कितना सफल होते हैं यह समाय ही बता पायेगा !

जैनधर्म भी मुलभारतिय हिंदूधर्म का एक पंथ हैं बौद्धो के पहले का हैं पर उनका हिंदू शब्द धर्म , हिंदू संस्कृती को कोई विरोध नही ! ना वो हिंदू शब्द को गाली मानते हैं न कहते हैं !

बौद्धो का हिंदू शब्द को विरोध उनके ना समजी के कारण हैं वे भूल ज़ाते हैं डॉ. आम्बेडकर हिंदू कोड बिल बनाया हैं और हिंदू की व्याख्या मे जैन सिख बौद्ध शामिल किया हैं वैदिक ब्राह्मणधर्म नही !   

हिंदूधर्म भी हैं और संस्कृती भी हैं अब यह बात जगजाहीर हैं ! हिंदू मतलब मुलभारतिय , नेटीव , आदिवाशी ! और हिंदू धर्म सनातन पुरातन आदिवाशि समतावादी लोक तांत्रिक लोकधर्म हैं जिसने संसार को सभ्य नागरिक संस्कृती सिन्दू हिंदू संस्कृती भी दी हैं !

हिंदूधर्म के सण त्योहार भी लोक उत्सव आनन्द के लिये हैं जैसे दिवाली ! कृषी और नागरिक संस्कृती का बेमिसाल मिलाप हैं दिवाली ! 

दिवाली की सब को हार्दिक शुभकामनाये !

#दौलतराम

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 8

पवित्र  बीजक : प्रग्या  बोध  : चाचर  : 1 : 8

चाचर  : 1 : 8

शिव  सन  ब्रह्मा  दौरि  के  , दूनों  पकरे  धाय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

शिव  = मुलभारतिय  हिन्दूधर्मी  समतावादी भगवान  ! सन  = मानने  वाले  ! ब्रह्मा  = विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  विषमातावादी  धर्म  संस्थापक  ! दौरि  के  = दोनो  के  ! दूनों  = दोनो  ! पकरे  धाय  = दोनो  माया  मोह  मे  फसे  है  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है  ज़हाँ  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  भगवान  माने  गये  शिव  शंकर  महादेव लोकनाथ पशुपतीनाथ पार्वती  के  मोह  माया  मे  पडकर  विरंची  से  संसारी  बन  बैठे  वही  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  संस्थापक  ब्रह्मा  तो  खुद  उसके  बेटी  सरस्वती  के  मोह  मे  पागल  की  तरह  दौड  पडे  थे  ! दोनो  मोह  माया  इच्छा  तृष्णा  वसाना  के  गिर्फत  मे  अपना जीवन  खो  चुके  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Saturday, 18 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 7

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 7

चाचर  : 1 : 7

गर्भ  गहेली  गर्भ  ते , उलटि  चली  मुसकाय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

गर्भ  गहेली  = गर्भ  का  कारण  , इच्छा , तृष्णा  , माया  , मोह  ! गर्भ  ते  = उस  शरीर  मे  ! उलटि  = विपरित  ! चली  मुस्काय  = आनन्द  लेना  ! 

प्रग्या  बोध : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  कहते  है  माया  मोह  इच्छा  तृष्णा  जन्म  का  कारण  है  और  जन्म  से  ही  माया  मोह  इच्छा  तृष्णा  शरीर  से  जुड  जाती   है  ! इच्छा  नही  तो  जन्म  नही  !  जन्म  नही  तो  इच्छा  नही !  इच्छा  से  जुडे  शरीरिक  कर्म  दोष  नही  , पाप  नही  पुण्य  नही  ,जन्म  मरण  का  भवचक्र  नही  ! इच्छा  एसे  कारण  उत्पन्न  करती  है  की  कार्य  कारण  भाव  मे  मानव  उलझकर  रह  जाता  है  और  इच्छा  खुश  होती  है  , मानव  को   संसारिक  दुखो   मे  देख  कर  मन्द  मन्द  मुस्कुराती  रहती  है  क्यू  की  उसकी  संगत  का  यही  परिणाम है  ! इच्छा  से  निजात  छुटकार  केवल प्रग्या  बोध  से  संभव  है  !  वही  मार्ग  सनातन  पुरातन  आद्यधर्म   मुलभारतिय  हिन्दूधर्म   का  शिल  सदाचार  का  मार्ग  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Thursday, 16 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  चाचर  : 1 : 6 

चाचर  : 1 : 6

नारद  को  मुख  माँड़ि  के , लीन्हों  बसन छोड़ाय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

नारद  :  विदेशी  यूरेशियन  ब्रह्मा एक  पुत्र  ज़िसने  विष्णु  अर्थात  बुद्ध  नारायण  को  अपना  आराध्य  माना  था  और  उसका नाम  स्मरण  नारायण  नारायण  कहता  था   शायद  बौद्ध  भीक्कु  था  ! मुख  माँड़ि   = मुख  भंग  ! लीँन्हों  बासन  छोडाय  = व्रत  को  छोड  दिया ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के इस  पद  मे  कहते है माया   बहुत  ही  शक्तिशाली  है !   वह  नारद  नाम  के  एक  बौद्ध  भीक्कु  को  आपने  माया  मोह  इच्छा  तृष्णा  के  बल  पर  नारद  भीक्कु  ने  जो  अविवाहित  सन्यासी  बौद्ध  भीक्कु  रहने  का  व्रत  , प्रवज्या  ली  थी  उसे  भी  छोडने  और  स्त्री  मोह  मे  फसने  की  बात  बताई !   जो  नारद  हर  समय  नारायण  नारायण  का  जप करते  हुवे  संसार  मे घुम  घुम  कर  बौद्ध  मत  का  प्रचार  करता  था  उसे  संसारी  बना  दिया  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 15 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 5

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 5

चाचर  : 1 : 5

जती  सती  सब  मोहिया , गजगति  एसी  जाकी  चाल  ! 

शब्द  अर्थ  : 

जती  = ज़टाधारी ! सती  = सन्यासी  !  सब मोहिया  = को  मोहित  किया  ! गजगति  = हाथी  की  चाल   जो  मोहक स्त्री  जैसी  होती  है  !  

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  माया  , इच्छा  , तृष्णा  को  बहुत  ही  चतुर  और  मोहित  करने  वाली  बताते  हुवे  कहते  है  इसकी  गिर्फत  से  जटाधारी  साधु  और  सन्यासी  भी  नही  बचे  है  ! माया  के  मोहीनी  चाल  को  कबीर  साहेब  गजगामिनी  कहते  है  जो  अक्सर  उन  स्त्रियोंको  कहा  जाता है  जो  मस्ती  भरी  ठुमुक  ठुमुक  चलती और  पुरूषोंको  आकार्षित  करती   है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Tuesday, 14 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 4

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 4

चाचर  : 1 : 4

चन्द्र  बदनि  मृगलोचनी , माया  बुन्दका  दियो  उधार  ! 

शब्द  अर्थ :  

चंद्र  बदनि  = चन्द्र  जैसा  सुन्दर  मुखडा  और  चन्दकोर   यह  सुन्दर  स्त्री  के  लिये  उपमा  है  ! मृगलोचनी  = मृग  या  हरिण  जैसे  बडे  बडे  आँखो  वाली  भी  सुन्दर  नयन  वाली  स्त्री  के  लिये  उपमा  है  ! माया  = इच्छा ,  तृष्णा  , कामना , वासना  ! बुन्दका  दियो  उधार  = बुन्द, शरीर  से  पैदा  , उत्पन्न हुवी  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  माया  , इच्छा , तृष्णा  वासना  को  एक  मोहक  मन  भावन , अती सुन्दर  स्त्री  की  संसार  मे  जो  कल्पना  की  जाती  है  जैसे  चन्दकोर  , गोल  पूर्णीमा  का  चन्द्र  जो  सब  को  प्यारा  लगता  है  वह  स्त्री  ज़िसकी  आँखे  चपल  हिरणी  जैसे  बडे  बडे  और  चंचल   कामनिय  है  हर  किसी को  अपनी  और  आकार्षित  करती  है  और  उसके  लालसा  प्यार  चाहत  मे  दिवाना  कर  देती  है  ऐसी  ही  इच्छा  तृष्णा  माया  है  जो  ये  मानव  शरीर  है  उसी  से  उत्पन्न  हुवी  है  और  उसी  को  मोहित  कर  उसी  का  शोषण  करती  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Monday, 13 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 3

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 3

चाचर  : 1 : 3

शोभा  अदभुत  रूप  वाकी  , महिमा  वरणि न  जाय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

शोभा  = दिखना  , सजावट  ! अदभुत  = अद्भूत  , अचंभीत  करने  वाली  ! रूप वाकी  = रूप  सुन्दरी  ! महिमा  = किर्ती  ! वरणि  न  जाय  = वर्णन  किया  नही  जा  सकता  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  माया की  शोभा  , दिखावट , सजावट   अद्भूत  अचंभीत  करने  वाली  है  बातते  है  इसके  मोहक  रूप  की  बडी  चर्चा  है  उसका  वर्णन  करना  बहुत  मुष्कील  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Jo Native Hai Vo Sainik Hai ! Jansenani

#जो_नेटीव_है_वो_सैनिक_है  ! 

जो  नेटीव  है  , वो  सैनिक  है  चाहे  वो  एक  दिन  का  बालक  हो   या  बालिका  , बूढा  या  मरणासन्य  ! जब  तक  सांस  है  , ज़िन्दा  है  हर  एक  नेटीव  सैनिक  है  ! 

हमे  हमारे  देश  की  रक्षा  करनी  होगी ,  देश  के  दुष्मन  भगाने  होंगे  ! 

भगवान  #शिव का  त्रीशुल  , #राम  का  धनुष्यबाण , #कृष्ण  का  सुदर्शनचक्र  और  #भवानी  की  तलवार  पर  हमे  न  केवल  गर्व  है , ये  हमारे  नेटीव  पूर्वज  के  हथियार  हमारे  है  ! 

2026  को  नववर्ष  के  दिन  सबेरे  6  बजे  से हर साल  नेटीव  रूल  मूव्हमेंट  नेटीव  सैनिक  मार्च  निकालेगा  जो  देश  के  हर  गली  मोहल्ले  मे  नेटिव राष्ट्रवाद  का  अलख  जगायेगा  ! 

नारा  होगा  जय हिन्द  !   जय  नेटीव  ! 

#नेटिवीस्ट_डीडी_राऊत 
#जनसेनानी  
#नेटीव_सैनिक_हिन्दुस्तान

Sunday, 12 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 2

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  Bodh : चाचर  : 1 : 2

चाचर  : 1 : 2

रचेउ  रंगते चूनारी  , कोइ  सुन्दरि  पहिरे  आय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

रचेउ  =  सजना , सवरना , शृगार   करना  ! रंगते = चेहरे  का  मेकअप  लाली  पाउड़र  आदी  ! चूनरी = कपडे का  साज  ! कोई  सुन्दरि  = कोई  सुन्दर  स्त्री  ! पहिरे  आय  = लुभाने  के  लिये  आये  !

प्रग्या  बोध  :

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  माया  , तृष्णा  , इच्छा  को  सुन्दर  स्त्री  की  उपमा  देते  हुवे  कहते  है  माया  पहले  ही  मोहक  सुन्दरी  है  उपर  से  वो  अनेक  साज  शिंगार वेशभूषा लाली  पावडर  से  खुद  को  खूब  सवारे  बैठी  है  और  तो  और  लाज  संकोच  का  घूँगट  चूनारी  ओढ़कार  और  भी  कातिल  बन   गयी  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Saturday, 11 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  : चाचर  : 1 : 1

चाचर  : 1 : 1

खेलति  माया  मोहनी , ज़िन्ह जेर  कियो संसार  ! 

शब्द  अर्थ  : 

खेलति  = खेलाना  !  माया = तृष्णा !   मोहनी = आकर्षक  !   ज़िन्ह  = ज़िसने  ! जेर  = परेशान ! कियो  = किया  ! संसार  = यह  शृष्टी  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  उनकी  वाणी  पवित्र  बीजक  के चाचर  प्रकरण  के  प्रथम  चाचर  के  प्रथम  पद  मे  ही  माया  अर्थात  इच्छा  तृष्णा  का  स्वरूप  बताते   हुवे  कहते  है  माया  इच्छा  तृष्णा  बडी  मोहक  आकर्षक  रूप  में  संसार  मे  पैदा  हुवी  है  !  माया पुरे  संसार  को  कभी  न  समाप्त  होने  वाली  तृष्णा  इच्छा  से  परेशान  कर   दिया  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबिरसत्व  परमहंस 
दौलतरांम  
जगतगुरू  नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Friday, 10 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 7

पवित्र  बीजक  :  प्रग्या  बोध  :  बसंत  : 12 : 7

बसंत  : 12 : 7

कहहिं  कबीर  नर  किया  न  खोज  , भटकि  मुवा  जस  बन  के  रोझ  ! 

शब्द  अर्थ  : 

कहहिं  कबीर  = कबीर  का  कहना  है  ! नर  = मानव  ! किया  न  खोज  = मानव  समझ  नही  पाया  ! भटकि  मुवा  = मूर्ख  यहाँ  वहाँ  भटक रहा  है  ! जस  = ज़िस  प्रकार ! बन  के  रोझ  = बन  मे  उड  रहे  रूई  जैसे  ! 

प्रग्या  बोध  :

परमात्मा  कबीर  बसंत  बारा  के  अंतिम  पद  में  कहते  है  मानव  ने  बहुत  सारी  खोज  किये  है  , वैग्यानिक  उपक्रम  खोजे  है  बनाये  है  विभिन्न  धर्म  संप्रदाय  मत  पंथ  भी  बनाये  पर  वो  परमात्मा  खोज  नही  पाया  क्यू  की  परमात्मा  खोजा  नही  जाता  वह  पंच  इन्द्रिय  और  मन  परे  है  न  उसकी  कल्पना  की  जा  सकती  है  न  इन्द्रिय  उसे  जान  सकते  है  क्यू  की  वो  निराकार  निर्गुण  अमर  सर्व  व्यापी  सर्वत्र  सार्वभौम  एकमात्र  मालिक  कर्ता  धरता  है  !  उसने  मानव  को  कुछ  हदे  दी  है  उसके  भीतर  ही  उसकी  खोजे  रहती  है  पर  तब  भी  मूर्ख  मानव  जंगल  मे  ज़िस  प्रकार  रूई  इधर  उधर  ऊडते  रहती  है  वसे  ही  मानव  परमात्मा  की  खोज  में  निरर्थक  भटकता  रहता  है  इसका ही  फायदा  कुछ  लालची  झूठे  ढ़ोंगी  जैसे  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  धर्मी   पोंगा  पंडित  पुजारी  उठा  रहे  है  और होमबली  सोंमरस , ज़नेऊ ऊचनीच  भेदाभेद  अस्पृष्यता  विषमाता   शोषण  के  अधर्म  को  धर्म  बता  रहे  है  और  पत्थर  की  मुर्ती  पूजा  अवतार  प्राण  प्रतिष्ठा  आदी  से  मूर्ख  बना रहे  है  !  वो  चेतन  तत्व राम  सत्य  शिल  सदाचार  भाईचारा  के  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  आचरण  मार्ग  से  ही  जाना  जा  सकता  है  ! वही  मार्ग  परमात्मा  कबीर  बताते  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य   कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

Tulaja Bhavani ki Sachchi Kahani ! Daulatram

#तुलजा_भवानी_की_सच्ची_कहानी  ! #दौलतराम 

तुलजापुर  महाराष्ट्र  मे  तुलजापुर  के  लिये  प्रसिद्धज हैं  !  वहाँ  किसी  समय  कदम  नाम  के  मुलभारतिय  हिंदूधर्मी  दयालू धार्मिक  प्रवृत्ती के   व्यक्ति   रहते  थे  ! यह  व्यक्ति  जाती  वर्ण  अस्पृष्यता  विषमता  भेदाभेद  को  नही  मानते  थे  और  शिल  सदाचार  भाईचारा  समता  का  सनातन  पुरातन  धर्म  बताते  थे  ! चिंतन  मनन  करना  ध्यान  लगाना  विपश्यना  आदी  मे  उनकी  विशेषता  और  रूची  थी  ! कुकुर  यानी  कुलकर्णी  विदेशी  वैदिक  ब्राह्मण  को  ये  पसंद  नही  था  ! उसने  ध्यान  लगाये  बैठे  कदम  को  परेशान करना  शुरू  किया  तब   मुलभारतिय  हिंदूधर्मी  कदम  की  औरत जिस  का  नाम  अनु  था  वह   हास्थ मे  खडग  लेकर   विदेशी  यूरेशियान  वैदिक  ब्राह्मणधर्मी क्रूर  कुकुर  कुलकर्णी   पर  टूट  पडी  और  कोयते  से  उस  को  मार  ड़ाला  ! 

इस  गाँव  मे  अधिकतर  मुलभारतिय  हिंदूधर्मी  भोसले कदम  आदी  कुलनाम  के  लोग  थे  यह  अनु   भोसले  कुल  की  लडकी  जो  कदम  के  घर  ब्याही  थी  ! उसके  शौर्य  निडरता  और  पराक्रम  के  कारण  भोसले  और  अन्य  सभी  मुलभारतिय  हिंदूधर्मी  लोगोने  उसे कूल देवता  माना  और  उसका  नाम  अनु  से  तुलजापूर  की  तुलजा  भवानी  यानी  माता  हो  गया  !

शिवाजी  महाराज  , डॉ. आम्बेडकर  आदी  असंख्य  मराठी  कुलोंकी वह   कूल देवता  हैं  !

जय  भवानी  !

#दौलतराम

Thursday, 9 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध : बसंत  : 12 : 6

बसंत  : 12 : 6

छाड़हु  पाखण्ड  मानो  बात , नहिं  तो  परबेहु  यम  के  हाथ  ! 

शब्द  अर्थ  : 

छाड़हु  = छोडो  ! पाखण्ड  =  ,विदेशी  वैदिक  ब्राह्मणधर्म ,   झूठ  , फरेब , लोगोंको  फसाना  ! मानो  बात  = हमारा  समतावादी मुलभारतिय  हिन्दू  मानो  ! नहिं  तो  परबेहु  = नही  तो पडेगा  ! यम   के  हाथ  = मृत्यू   या  धर्म  का  दंड  विधान  !  

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर   बसंत  के  इस  पद  मे  विदेशी  यूरेशियान  वैदिक  ब्रहमानो  को  चेतावनी  देते  हुवे  कहते  है  हे  ब्रह्मिनो  पांडे  पंडितो  संकारचार्यो  अपना  विषमाता वादी  वर्णजाती  वादी , छुवाछुत  अस्पृष्यता  वादी  अमानविय  वैद  और  मनुस्मृती  का  अधर्म  विकृती  छोडो  नही  तो  न्याय  का  दंड  भूगतने  तय्यार  रहो  ! इस  कुकर्म  के  लिये  झूठ  और  पाप  के  लिये  तुम्हे  मृत्यू  दंड  की  सजा  भी  मुलभारतिय  दंडविधान  से  मिल  सकती  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

Kanshiram ka 15 : 85 Formula aur Nativism !

#कांशीरामका_15_85_फार्मुला !

बामसेफ , डीएसफोर और बीएसपी संस्थापक कांशीराम डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकरवादी थे ! उनहोने अम्बेडकर के संविधानिक आरक्षण एससी एसटी और ओबीसी की संख्या को इकठ्ठा कर 85 का आंकडा बनाया और और वर्ण जाती के आधार पर अपनी राजनैतिक शक्ति पेन के माध्यम से बताई ! इसमे ऊँहे कुछ सफलता भी मिली ! कांशीराम 15 : 85 के लिये हमेशा याद किये ज़ायेंगे जो बाबासाहेब का ही सुधारित रुप था ! 

बाबासाहेब और कांशीराम बाह्मण और उनके साथ जूडे तथाकथित स्वर्ण दुय्यम दर्जे के क्षत्रिय और वैश्य जो मुलरूपसे विदेशी वैदिक नही जो मुलभारतिय जाती वर्ण विहिंन हिंदूधर्मी ही थे पर विदेशी यूरेशियन वैदिकधर्म की सुन्दर ब्राह्मण स्त्रिया देवदासी अप्सरा मेंनका रंभा आदी और सोमरस होम बली के मांसाहार आदी के लिये हिंदूधर्म से धर्मांतर कर विदेशी यूरेशियन ब्राह्मण धर्म के कागजी स्वर्ण बने पर कभी ब्राह्मण पांडे पूजारी शंकराचार्य गुरु कभी नही बन पाये उनका 15 मे कांशिराम ने शामिल कर ज़िसकी ज़ितनी संख्या भारी ऊतनी उसकी भागीदारी के आम्बेडकर विचार को दोहराया !

बाबासाहेब आम्बेडकर और कांशीराम दोनो ने खुलकर कभी नही कहाँ ब्राह्मण विदेशी हैं ऊँहे भगावो इन्होने अपनी संख्या के आधार पर हिस्सेदारी आरक्षण सवलते मांगी !

नेटीव रूल मुव्हमेंट की स्थापना नेटीवीस्ट डी डी राऊत ने 1970 मे की और विदेशी ब्राह्मण केवल एक वर्ण सवर्ण हैं और वो 3 प्रतिशत हैं और बाकी अन्य सभी मुलभारतिय 97 प्रतिशत हैं यह बात साफ कर दी और बताया की तथाकथित क्षत्रिय वैश्य भी भूमिपुत्र आदिवाशी मुलभारतिय हैं और पूर्व के समतावादी मुलभारतिय हिंदूधर्मी ही हैं ! 

नेटीव रूल मुव्हमेंट ने 1970 मे नारा दिया विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो ! हिंदू वोही जो ब्राह्मण नही ! हिंदूधर्म और ब्राह्मणधर्म अलग अलग हैं ! हिंदुत्व वही ज़िसमे ब्राह्मण बिलकुल नही !

नेटीव रूल मुव्हमेंट ने मुलभारतिय विचार मंच बनाया , सत्य हिंदूधर्म सभा बनाई , नेटीव पिपल्स पार्टी बनाई , कास्टलेस सोसायटी ऑफ इन्डिया बनाई और मुलभारतिय हिंदूधर्म विश्वपीठ बनाया !

शत प्रतिशत मुलभारतिय राज और जाती वर्ण भेदभाव ऊचनिच अस्पृष्यता विषमता रहित मुलभारतिय हिंदूधर्म ही नेटीव रूल मुव्हमेंट का उद्देश हैं !

#दौलतराम

Wednesday, 8 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 5

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : बसंत  : 12 : 5

बसंत  : 12 : 5

झूठा  कबहुँ  न  करिहैं  काज , हौं बरजौं  तोहि  सुनु  निलाज  ! 

शब्द  अर्थ  : 

झूठा  = झूठ  बोलने वाला  ब्राह्मण पंडित  पांडे  ,संकराचार्य आदी  ! कबहुँ   = कभिभी  ! न  करिहैं  काज  = कभी  भलाई  न  करना  ! हौं  = हे ब्राह्मण  वर्ज  करो  ! तोहि  = तुम  ! सुनु  निलाज   = सुनो  निरलज्यो  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  मे  बताते है  की  विदेशी  यूरेशियन  ब्राह्मणधर्म  के  लोग  ब्राह्मण पांडे  पूजारी  संकराचार्य   सब  झूठे  है  उनका  वर्णवादी  जातीवादी   छुवाछुत  अस्पृष्यतावादी  ऊचनीचवादी  शोषणवादी   धर्म  सब  झूठ  फरेब  पर  आधारित  है  ऊँसमे  मुलभारतिय  हिन्दू  के  हित  और कल्याण  की  न  कोई  बात  है  न  भावना है  न  उद्देश  ! उनका  धर्म  नही  अधर्म  है  संस्कृती  नही  विकृती  है  उनके  देवता  ब्रम्हा  इन्द्र  आदी  बलात्कारी  है ,  हे  मुलभारतियों इन  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्मी   पांडे  पंडित  संकराचार्य को  वर्जित  करो  उनको  अपने  पास  आने  न  दो  वो  बहुत  ही  कमिने और  निर्लज्ज  है  , उनको गलत  धर्म    उनके  विधी  बताने  मे  और  दान  दाक्षिणा   लेने  मे  मांगने  में  कोई  शर्म  नही  आती  उनसे  सावधान  रहो  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Tuesday, 7 October 2025

Hindu Dharm and Brahman Dharm are separate ! Daulatram

#हिन्दूधर्म_और_ब्राह्मणधर्म_अलग_अलग_है !

हिन्दुस्तान का मुलभारतिय हिन्दूधर्मी समाज सार्वभौम ! आज कबीरवाणी पवित्र बीजक ही मुलभारतिय हिन्दूधर्म का एकमात्र सच्चा धर्मग्रंथ , विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म अलग ! हिन्दूधर्म और ब्राह्मणधर्म अलग अलग ! वैदिक ब्राह्मण धर्म को बाकायादा स्थापित करने के लिये संघ , संकारचार्य और सुप्रिम कोर्ट मे बैठे विदेशी ब्राह्मणधर्म के हस्तक मुलभारतिय हिन्दूधर्म की अलग पहचान मिटाने सदियोंसे सक्रिय ज़िसमे दयानन्द तिवारी से लेकर मुर्ख बामसेफिये भी है !  

आम्बेडकर ने विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्म , विदेशी ब्राह्मणधर्म विकृती से मुलभारतिय हिन्दूधर्म संस्कृती के बौद्ध मत को स्विकार किया उसे भी शुरू मे वैदिक ब्राह्मणधर्मी धर्मांतर नही मानते थे हालांकी ये सच है की वैदिक ब्राह्मणधर्म गंदगी मुलभारतिय संस्कृती के सभी धर्म जैसे जैंन बौद्ध सिख हिन्दू मे घुस गई है ज़िसके विरोध मे ही ये पंथ जैंन सिख बौद्ध निर्मांण हुवे ! मुलभारतिय हिन्दूधर्म तो विदेशी यूरेशियन वैदिकधर्म के हिन्दुस्तान मे घुसपैठ के काल से ही उससे लड़ रहे है ! 

हिन्दू जनता जनती है हिन्दूधर्म मुलभारतिय हिन्दूधर्म है और विदेशी यूरेशिएन वैदिक ब्राह्मण धर्म से अलग धर्म है जो आद्य लोक धर्म है सत्य धर्म है इस लिये चाहे सुप्रिंम कोर्ट मे बैठे ब्राह्मणवादी मानुवादी जज की कितनी भी बडी बेंच क्यू ना ये कहे हिन्दूधर्म नही उसे डस्ट बिन मे ड़ालते है ! धर्म के बारे मे हिन्दुस्तान के मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोग सार्वभौम है ! न हिन्दूधर्म का नाम बदला जा सकता है न पहचान ! हिन्दू कोड बिल ने भी इस पर मोहर लगा दी है और कबीरसत्व दौलतराम ने भी ! हिन्दूधर्म और ब्राह्मणधर्म अलग अलग है ! हिन्दू वोही जो ब्राह्मण नही ! हिन्दुत्व वही ज़िसमे ब्राह्मण बिलकुल नही ! 

#दौलतराम

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 4

पवित्र  बीजक  : प्रग्या बोध : बसंत  : 12 : 4

बसंत  : 12 : 4

आपन  आपन  चाहैं  मान , झूठ  प्रपंच  साँच  करि  जान  ! 

शब्द  अर्थ  : 

आपन  आपन  = विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  धर्मी  लोग  , पांडे  पूजारी  संकारचार्य  आदी  ! चाहैं  मान  = खुद  को  श्रेष्ठ  ग्यानी  पंडित  कहना ! झूठ  प्रपंच  = झूठा  वैदिक  ब्राह्मंण   धर्म  , झूठे  वेद  शास्त्र  , मनुसमृती  इत्यादी  ! साँच  करि  जान  = मेरा  ही  सच  है  कहना  , झूठे  को  सच  बताना  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  मे बताते  है  की  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  झूठे  है  उनका  वैदिक  ब्राह्मण  धर्म  झूठा  है  उनके  धर्मग्रंथ धर्म  शास्त्र  वेद  और  मनुस्मृती  ये  सब  झूठ  का  पुलिन्दा  है  वर्ण   जाती  ऊचनीच  शुद्र  अस्पृष्य  सब  झूठी  कल्पना  है  कोई  धर्म  नही  ये  अधर्म  और  विकृती  है  जो  वसाहतवाद  पुंजीवाद ब्राह्मणवाद   - मनुवादी   को  मजबुत  कर  मानव  का  शोषण  मुलभारतिय  लोगोंके  उत्पीड़न  , शोषण  और  गुलामी  के  लिये  बनाये   गये  है  ! ब्राहमिण  ग्यानी  पंडित  नही  विवेकहीन  निर्बुद्ध  लोग  है  जो  कहते  है  ब्रह्मा  के  मुख  से  ब्राह्मण  पैदा  हुवे  ! एसे  झूठोंको  मुलभारतिय  शिव  ने  सबका  सिखाया  और  ब्रह्मा  का  सर  काट ड़ालां  ! वर्ण जाती  भेदाभीद  को  अमान्य  कर  ब्राह्मण  कन्या  पार्वती  से  दुसरी  शादी  की  ! ब्राहमिनो  की  झूठी  शान  है  ब्राह्मण इंसान  नही  शैतान  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Monday, 6 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 3

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : बसंत : 12 : 3

बसंत  : 12 : 3

सो  तो  कहिये  एसो  अबूझ , खसम  ठाढ़  ढ़िग नाही  सूझ  !  

शब्द  अर्थ  : 

सो  तो  कहिये  = वो  जो  कहते  है  ! एसो  अबूझ  = एसा  अनर्गल  , बे  मतलब  , अधार्मिक  ! खसम  = परमात्मा  !  ठाढ़  ढ़िग  = सभी  जानकारी  ! नाही सूझ  = नही  समज मे  आता  ! 

प्रग्या  बोध : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  मे  कहते  है  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्मी  लोगोने  उनके  धर्मग्रंथ  वेद  आदी  मे  एसी  बेतुकी  और  अनर्गल  बाते  लिखी  है  की  खुद  ग्यान  के  भांडार  परमात्मा  को  भी  कुछ  समज  नही आयेगा  जैसे  ब्रह्मा  के  मुख  से  ब्राह्मण पैदा  हुवे  , होम  अग्नि से  सोंमरस  पिने  ,गाय  घोडे  का  मांस  खाने   खुद  ब्रह्मा  इन्द्र  सोम  वरूण  रुद्र  आदी  बलतकारी  उनके  देव  सशरीर   प्रगट  होते  है  और  प्रसन्न  हो  कर  इच्छित  वर  देते  है , वर्ण वाद  , भेदभाव , ऊचनीच  सब  इनके अधर्म  को  ये  धर्म  और  महा  ग्यान  कहते  है  ! ये  अधर्मी  कुधर्मी  असभ्य ऐ सुसंस्कृत   लोग  खुद  को  श्रेष्ठ  और  दुसरे  को  शुद्र  निच  अस्पृष्य  कहते  है  इनका  उलटा  ग्यान  है  ये  मानव   नही  शैतान  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Sunday, 5 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 2

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  बसंत  : 12 : 2

बसंत  : 12 : 2

अन्धा  कहै  अन्धा  पतियाय , जस  बिश्वा  के  लगन धराय ! 

शब्द  अर्थ  : 

अन्धा  = ज़िसे  दिखता  नही  ! कहै = बताता है  ! अन्धा  पतियाय  = दुसारा  अंधा  हा  कहता है ! जस = ज़िस  प्रकार  ! बिश्वा के   = विश्वास  पर  !   लगन धराय   = लग्न  , शादी  कारते है  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  में  अंधश्रद्धा  को  फैलां रोग  मानते  जैसे  एक  अंधविश्वासी   दुसारे  अन्द्धविश्वासी  को  दावे  के  साथ  कहता  है  की  ये  बात  सच  है  मैने  देखा  है  वैसे  ही  समाज मे  शादी  ब्याह  को  जन्मपत्री  गोत्र  जाती  आदी  के  अंधविश्वास  के  आधार  पर  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्मी   पांडे  पूजारी  गुरूजी के  बाताये  मार्ग  से  शादी  रचाई  जाती है  !   ब्राह्मण    और  अग्नी  के  साक्ष  से  और  जन्म  पत्री  के  मिलन  से  रची  गई  कितनी  ही  शादिया  नरक  बनी  है  समाज  देखता  है  पर  सुधारता  नही  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

Saturday, 4 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  : बसंत  : 12 : 1

बसंत  : 12 : 1

हमरे  कहलक  नहिं  पतियार , आप  बूडे  नर  सलिल  धार  ! 

शब्द  अर्थ  : 

हमरे  कहलक  = हमारी  बात , धर्म  , सुझाव  ! नहिं  पतियार  = नही  पटती , ठिक  नही लगती  ! आप  बूडे  = आप  खुद  का  नुक्सान  करते  हो  ! नर  = हे  मानव ! सलिल  धार  = नदी  के  किनारे  की  धार  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  बारह  के  प्रथम  पद  में  ही  बताते  है  भाईयों  मै  जो  धर्म बताता  हूँ  वो  सनातान  पुरातन  है  आद्य  मानव  धर्म  है , कल्याण  का  मार्ग  है  शिल  सदाचार  बंधुत्व  का  मार्ग  है  सहयोग  और सहज जीवन  का  मार्ग  है  , जीवन  जीने  का  सही  सरल  मार्ग  है  एक  दुसरे  को  मदत  करना  उत्तम  धर्म  है  मै  वही  कर  रहा  हूँ  भाईयों  जीवन  के  इस  प्रवाह  में  तुम  ड़ूब  रहे  हो  , तुम्हारा  खुद  का  नुक्सान  हो  रहा  है  तुम  अधर्म  की  नाव  पर  सवार  हो  जहाँ  छेद  ही  छेद  है  इस  गलत  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्मी  विकृत  नाव  को  छोडो  और  सही  और  अच्छी  नाव  मे  सवार  हो  नही  तो  अधर्म  के  बोज  से  कुकर्म  से तुम्हारा  ड़ूबना  तय है  निच्छित है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवश्रुस्टी

Hindu Dharm Khatare Me Hai ! Daulatram

#हिंदूधर्म_खतरे_मे_हैं !

वास्तव मे हिंदूधर्म खतरे मे हैं और यह बात हिंदू , हिंदुस्तान के दुष्मन देश के दुष्मन विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी डंके की चोट पर हमे आगाह करने के लिये बता रहे है जैसे शतरंज के खेल मे विरोधी पक्ष को शह यह शब्द बोल कर उससे भी न बच सका तो मात बोल कर राजा मार दिया जाता हैं !

पीछले कई वर्ष से वैदिक ब्राह्मणधर्मी हिंदू शब्द गाली हैं ऐसा कुप्रचार कर रहे हैं इसमे विदेशी यूरेशियान के देशी चमचे दयानंद पंथी बामफेकिये भी शामिल हैं !

संघ के आदेश से मोदी भी हिंदू कोई धर्म नही कह रहे है और अन्य राजकिय पक्ष खामोश हैं !

हिंदूधर्म इस नाम को वास्तिवक खतारा हैं क्यू की विदेशी युरेशियन ब्राह्मणधर्मी अब अधिकारिक रुप से हिंदूधर्म का नामंतर उसे या तो वैदिक ब्राह्मणधर्म कहना चाहते हैं या वैदिक सनातन धर्म कहना चाहते हैं वैदिक इस शब्द को फिलहाल सायलेंस रखना चाहते हैं ! इसे सनातन धर्म कहना ऊँहोने शुरू किया पर कुछ नव बुद्धिस्ट सनातन धर्म यानी बुद्ध धर्म हैं बताते हैं !

सनातान पुरातन शब्द काल दर्षाते हैं इस दृष्टी से मुलभारतिय हिंदूधर्म जो सिंधु हिंदू संस्कृती का जनक हैं उसे ही सनातान पुरातन आद्य आदिवाशी समतावादी धर्म कहाँ जाता हैं इसी कारण डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मुलभारतिय हिंदूधर्म को ही सनातान मान कर हिंदू की व्याख्या मे बौध जैन सिख को उसमे शामिल किया विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म को नही ! 

विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म एक विदेशी संस्कृति हीन धर्म हैं या अधर्म हैं ज़िसका धर्म ग्रंथ वेद हैं जहाँ हैं भेदाभेद वर्ण ऊचनिच और मनुस्मृती उनका ब्राह्मणधर्म कानुन हैं ज़िसमे हैं जातिवाद अस्पृष्यता छुवाछुत विषमता शोषण ! इस गलिच्छ वैदिक ब्राह्मणधर्म को हिंदूधर्म को नामशेष करने के लिये पुरी ताकत से विदेशी ब्राह्मण काम कर रहे हैं और देशद्रोही समाज द्रोही , हिंदूद्रोही कुछ बामसेफिये सिरफिरे विदेशी ब्राह्मण दयानंद की वकालत कर रहे हैं !

मुलभारतिय हिंदूधर्म विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी और दयानन्द के चेलोंसे नीपटने को सक्षम हैं की मुलभारतिय हिंदूधर्म अजर अमर हैं !

#दौलतराम

Friday, 3 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 11 : 9

पवित्र  बीजक :  प्रग्या  बोध  :  बसंत : 11 : 9

बसंत  : 11 : 9

दिना  चारि  मन  धरहू  धीर  ,  जस  देखै  तस  कहहिं  कबीर  ! 

शब्द  अर्थ  : 

दिना  = दिया  ! चारि  मन  = चहूँ  दिशा  मे भटकने वाला  मन   ! धरहु  धीर  = धिरज  रखना , सबुरी , धर्य   !   जस देखै  = आँख पर  विश्वास  ! तस  = वैसे  ! कहहिं  कबीर   = कहता   है  कबीर  ! 

प्रग्या  बोध : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  गारह  के  अंतिम  पद  मे  कहते   है  भाईयों  मन  अनुमान  लगाता  है  ,भटकता  रहता  है  चंचल  है  अस्थिर  है  माया  मोह  लालच  से  प्रभावित  होता  है  पर  इन्दिय  सत्य  बताते  है  ! शृष्टी  कोई  भ्रम  नही  वास्तविक है  हकिकत  है  और  इन्द्रिय  भी  वास्तविक  है  ईसलिये  पाँच  इन्द्रिय  से  जो  ग्यान मिलता  है  उसे  सत्य  जानो  और  देखो  परखो  और  उस  सत्य  को  अन्देखा  ना  करो ! सामने  कोई  शत्रू  है  तो  शत्रू है  , मित्र  है  तो  मित्र  है  कोई  भ्रम  मत  पालो  !  पत्थर  है  तो  पत्थर  ही  है , कोई देव  नही ! पत्थर  के  मुर्ती  को  भगवान  मानकर  पूजा  करना  व्यर्थ  है  ! चेतन  तत्व  राम  ने  सजीव  को  ग्यानेंद्रिय  दिये  है  उससे  सत्य  जानो  और  सत्यधर्म  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  पालन  करो  ! असत्य  वैदिक  ब्राह्मंणधर्म   झूठ  और  दिशाभूल  करने वाला  है  उससे  दुर  रहो  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Jai Native ! Song by Nativist DD Raut

#जय_नेटिव  !

जय नेटिव  गाता  चल 
कदम  कदम  मिलाता  चल 
ये  राह  है  नेटिव  राष्ट्र  की 
नेटिविजम  जगाता  चल  
जय  नेटिव  गाता  चल   !

जय  नेटिव  गाता  चल 
कंधे  से  कंधा  मिलाता  चल 
ये  राह  है  नेटिव  हिन्दुत्व  की 
मुलभारतिय  जगाता  चल 
जय  नेटिव  गाता चल  ! 

जय  नेटिव  गाता  चल  
कबीर  दोहे  दोहारता  चल 
बीजक  का  धर्म  बताता  चल 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  पालन  कर 
जय  नेटिव  गाता  चल  !

#नेटिविस्ट_डीडी_राऊत

Thursday, 2 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 11 : 8

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  बसंत  : 11 : 8

बसंत : 11 : 8

हर  हर्षित  सो  कहल  भेव , ज़हाँ  हम  तहाँ  दुसरा  न  केव  ! 

शब्द  अर्थ  : 

हर  हर्षित  = हर  स्थिती  मे आनन्दी  , खूष  , स्थितप्रद , निर्वाण  पदस्थ  , माया  मोह  तृष्णा  रहित  !  सो  कहल  भेव  = डर  किसका ! ज़हाँ हम  =  स्वाएं  सिद्ध  ! तहाँ  दुसरा  न  केव = दुसारा  विचार  माया  मोह  का  अमल  नही  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  में  कहते  है  जो  लोग  माया  मोह  तृष्णा इच्छा  रहित  होते  है  उनहे  किसी  बात  का  डर  भय  चिंता  नही  होती  है ! उनकी  स्थिती  उस  परमात्मा  परमतत्व  चेतन  राम  जैसे  होती  है  स्थितप्रग्य  जैसे  ,उनकी  अवस्था  मोक्ष  निर्वाण  जैसे  होती  है  इच्छा  डर   लालच  रहित  कैसे  कुछ  लेना  न  देना  मगन  रहना  , आत्म  संतुस्टी  से  सदा  आनन्दित  !  वो  राममय  हो  जाते  है  जैसे  कबीर साहेब  स्वयम  है  ! निराकार  निर्गुण  अजर  अमर  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतरांम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तांन  , शिवशृष्टी

Wednesday, 1 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 11 : 7

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 11 : 7

बसंत : 11 : 7

ताकर जो कछु होय अकाज , ताहिं दोष नहिं साहेब लाज ! 

शब्द अर्थ : 

ताकर = तुम्हारे साथ ! जो कछु = जो कुछ ! होय अकाज = अकारण होना ! ताहिं = उसका ! दोष नहिं साहेब लाज = उसमे चेतान राम का दोष नही ! 

प्रग्या बोध :

परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में बाताते है की संसार की निर्मिती एक तत्व चेतन राम से हुवी है वो सब में है और हम सब उसमे ! वह निराकार निर्गुण अमर अजर सर्वव्यापी सार्वभौम मालिक परमात्मा है उसने निर्जीव सजीव सब बनाया वो बडा न्यायी और दयालू है उसके नियम सब एक जैसे लागु होते है वह भेद भाव नही करता ज़िसे शृष्टी के नियम कहते है सजीव प्राणी को कुछ विशेषता दी है जैसे चालना फिरना , ग्यानेंन्द्रिय , मन और बुद्धी आगे की सोच कल्पना आदी आदी इसका उपयोग खुद हर एक प्राणी निच्छित करता है और स्वायम ही उसके कार्य कारण भाव के नियम से परिणाम को बाध्य है इसका दोष उस चेतन तत्व परमात्मा राम को नही जाता न राम इसके परिणाम से लज्जित होता है ! उसने खुद कर भला सो हो भला नियम बनाया है ज़िसे धर्म कहते है प्रग्या बोध कहते है उसका सद बुद्धी से पालन करो दुखद परिणाम से ज़िते जी मुक्ती को ही मुक्ती , मोक्ष कहते है ! जीवन मरण के भवचक्र में मानव जन्म दूर्लभ है इस लिये हर काम सोच समझकर करो ! परमात्मा को दोष ना दो ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी