Saturday, 11 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  : चाचर  : 1 : 1

चाचर  : 1 : 1

खेलति  माया  मोहनी , ज़िन्ह जेर  कियो संसार  ! 

शब्द  अर्थ  : 

खेलति  = खेलाना  !  माया = तृष्णा !   मोहनी = आकर्षक  !   ज़िन्ह  = ज़िसने  ! जेर  = परेशान ! कियो  = किया  ! संसार  = यह  शृष्टी  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  उनकी  वाणी  पवित्र  बीजक  के चाचर  प्रकरण  के  प्रथम  चाचर  के  प्रथम  पद  मे  ही  माया  अर्थात  इच्छा  तृष्णा  का  स्वरूप  बताते   हुवे  कहते  है  माया  इच्छा  तृष्णा  बडी  मोहक  आकर्षक  रूप  में  संसार  मे  पैदा  हुवी  है  !  माया पुरे  संसार  को  कभी  न  समाप्त  होने  वाली  तृष्णा  इच्छा  से  परेशान  कर   दिया  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबिरसत्व  परमहंस 
दौलतरांम  
जगतगुरू  नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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