Friday, 3 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 11 : 9

पवित्र  बीजक :  प्रग्या  बोध  :  बसंत : 11 : 9

बसंत  : 11 : 9

दिना  चारि  मन  धरहू  धीर  ,  जस  देखै  तस  कहहिं  कबीर  ! 

शब्द  अर्थ  : 

दिना  = दिया  ! चारि  मन  = चहूँ  दिशा  मे भटकने वाला  मन   ! धरहु  धीर  = धिरज  रखना , सबुरी , धर्य   !   जस देखै  = आँख पर  विश्वास  ! तस  = वैसे  ! कहहिं  कबीर   = कहता   है  कबीर  ! 

प्रग्या  बोध : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  गारह  के  अंतिम  पद  मे  कहते   है  भाईयों  मन  अनुमान  लगाता  है  ,भटकता  रहता  है  चंचल  है  अस्थिर  है  माया  मोह  लालच  से  प्रभावित  होता  है  पर  इन्दिय  सत्य  बताते  है  ! शृष्टी  कोई  भ्रम  नही  वास्तविक है  हकिकत  है  और  इन्द्रिय  भी  वास्तविक  है  ईसलिये  पाँच  इन्द्रिय  से  जो  ग्यान मिलता  है  उसे  सत्य  जानो  और  देखो  परखो  और  उस  सत्य  को  अन्देखा  ना  करो ! सामने  कोई  शत्रू  है  तो  शत्रू है  , मित्र  है  तो  मित्र  है  कोई  भ्रम  मत  पालो  !  पत्थर  है  तो  पत्थर  ही  है , कोई देव  नही ! पत्थर  के  मुर्ती  को  भगवान  मानकर  पूजा  करना  व्यर्थ  है  ! चेतन  तत्व  राम  ने  सजीव  को  ग्यानेंद्रिय  दिये  है  उससे  सत्य  जानो  और  सत्यधर्म  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  पालन  करो  ! असत्य  वैदिक  ब्राह्मंणधर्म   झूठ  और  दिशाभूल  करने वाला  है  उससे  दुर  रहो  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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