Monday, 13 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 3

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 1 : 3

चाचर  : 1 : 3

शोभा  अदभुत  रूप  वाकी  , महिमा  वरणि न  जाय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

शोभा  = दिखना  , सजावट  ! अदभुत  = अद्भूत  , अचंभीत  करने  वाली  ! रूप वाकी  = रूप  सुन्दरी  ! महिमा  = किर्ती  ! वरणि  न  जाय  = वर्णन  किया  नही  जा  सकता  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  माया की  शोभा  , दिखावट , सजावट   अद्भूत  अचंभीत  करने  वाली  है  बातते  है  इसके  मोहक  रूप  की  बडी  चर्चा  है  उसका  वर्णन  करना  बहुत  मुष्कील  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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