पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 14
चाचर : 1 : 14
सुर नर मुनि औ देवता , गोरख दत्त औ ब्यास !
शब्द अर्थ :
सुर = बलशाली , राजा , नरेश ! नर = सामान्य जन ! मुनि = जैनी , भीक्कु ! देवता = दानी , धनी ! गोरख = हट योगी ! दत्त = वैध संतान ! ब्यास = लेखक !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में माया ने किसे किसे लुभाया है उसके कुछ उदाहरण यहाँ दिये है ज़िसमे ज़हाँ सामान्य लोग है ही बालशाली राजा महाराजा धार्मिक रूषी जैनी भीक्कु भी नही छूटे है , ना धनी और दानी छूटे और तो और प्रसिद्ध हट योगी गोरख जो गोरख धन्धे के लिये जाने जाते है और पागल लावारिस दत्त जो किसी पेड के निचे लावारिस कुत्ते गाय के साथ पडे रहते थे ज़िसे के अनेक बाप माने जाते है और लेखक कवी व्यास जो महाभारत के रचियता माने जाते है ज़िसने गिता भी बताई वो भी नही छूटे ! सब को मोह माया ने मोहित किया !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दुधर्म विश्वपीठ
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