Monday, 27 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 16

पवित्र  बीजक : प्रग्या बोध  : चाचर  : 1 : 16

चाचर  : 1 : 16 

छिलकत  थोथे  प्रेम  सों , मारे  पिचकारी  गात  ! 

शब्द  अर्थ  : 

छिलकत  = छलकना  , दिखावटी  , नकली ! थोथे  =  बिना  काम  का  ,अधुरा  , बनावटी  ! प्रेम =  प्रित  , मैत्री !   सों  = वह  , वे  लोग  !  मारे  पिचकारी  गात  = होली  के   गाली  भरे  गीत  ! 

प्रग्या  बोध  :

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  मे  दिखावटी  प्रेम  पर  कटाक्ष  करते  हुवे  कहते  है  विदेशी  ब्राहमिनोकी  प्रित  होली  के  रंग  जैसी  है  ज़िस  पर  प्रेम की  पिचकारी  मारी  जाती  है  उसका  कपडा  खराब  कर  नुक्सान  ही  करती  है  , बेरंग  करती  है  इनकी  प्रित  होली  के  उन  गानो  जैसी  ही  है  जाहाँ  प्यार  कम   गाली  अधिक  होती  है  !  ये  ब्राह्मण   बहुत  दिखवा  करते  है  ग्यानी  होने  का धर्म  का  पर  सब  झूठ  और  थोथे  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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