पवित्र बीजक : प्रग्या Bodh : चाचर : 1 : 2
चाचर : 1 : 2
रचेउ रंगते चूनारी , कोइ सुन्दरि पहिरे आय !
शब्द अर्थ :
रचेउ = सजना , सवरना , शृगार करना ! रंगते = चेहरे का मेकअप लाली पाउड़र आदी ! चूनरी = कपडे का साज ! कोई सुन्दरि = कोई सुन्दर स्त्री ! पहिरे आय = लुभाने के लिये आये !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद मे माया , तृष्णा , इच्छा को सुन्दर स्त्री की उपमा देते हुवे कहते है माया पहले ही मोहक सुन्दरी है उपर से वो अनेक साज शिंगार वेशभूषा लाली पावडर से खुद को खूब सवारे बैठी है और तो और लाज संकोच का घूँगट चूनारी ओढ़कार और भी कातिल बन गयी है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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