Thursday, 16 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 1 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  चाचर  : 1 : 6 

चाचर  : 1 : 6

नारद  को  मुख  माँड़ि  के , लीन्हों  बसन छोड़ाय  ! 

शब्द  अर्थ  : 

नारद  :  विदेशी  यूरेशियन  ब्रह्मा एक  पुत्र  ज़िसने  विष्णु  अर्थात  बुद्ध  नारायण  को  अपना  आराध्य  माना  था  और  उसका नाम  स्मरण  नारायण  नारायण  कहता  था   शायद  बौद्ध  भीक्कु  था  ! मुख  माँड़ि   = मुख  भंग  ! लीँन्हों  बासन  छोडाय  = व्रत  को  छोड  दिया ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के इस  पद  मे  कहते है माया   बहुत  ही  शक्तिशाली  है !   वह  नारद  नाम  के  एक  बौद्ध  भीक्कु  को  आपने  माया  मोह  इच्छा  तृष्णा  के  बल  पर  नारद  भीक्कु  ने  जो  अविवाहित  सन्यासी  बौद्ध  भीक्कु  रहने  का  व्रत  , प्रवज्या  ली  थी  उसे  भी  छोडने  और  स्त्री  मोह  मे  फसने  की  बात  बताई !   जो  नारद  हर  समय  नारायण  नारायण  का  जप करते  हुवे  संसार  मे घुम  घुम  कर  बौद्ध  मत  का  प्रचार  करता  था  उसे  संसारी  बना  दिया  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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