पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 6
चाचर : 1 : 6
नारद को मुख माँड़ि के , लीन्हों बसन छोड़ाय !
शब्द अर्थ :
नारद : विदेशी यूरेशियन ब्रह्मा एक पुत्र ज़िसने विष्णु अर्थात बुद्ध नारायण को अपना आराध्य माना था और उसका नाम स्मरण नारायण नारायण कहता था शायद बौद्ध भीक्कु था ! मुख माँड़ि = मुख भंग ! लीँन्हों बासन छोडाय = व्रत को छोड दिया !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद मे कहते है माया बहुत ही शक्तिशाली है ! वह नारद नाम के एक बौद्ध भीक्कु को आपने माया मोह इच्छा तृष्णा के बल पर नारद भीक्कु ने जो अविवाहित सन्यासी बौद्ध भीक्कु रहने का व्रत , प्रवज्या ली थी उसे भी छोडने और स्त्री मोह मे फसने की बात बताई ! जो नारद हर समय नारायण नारायण का जप करते हुवे संसार मे घुम घुम कर बौद्ध मत का प्रचार करता था उसे संसारी बना दिया !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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