पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 5
चाचर : 1 : 5
जती सती सब मोहिया , गजगति एसी जाकी चाल !
शब्द अर्थ :
जती = ज़टाधारी ! सती = सन्यासी ! सब मोहिया = को मोहित किया ! गजगति = हाथी की चाल जो मोहक स्त्री जैसी होती है !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद मे माया , इच्छा , तृष्णा को बहुत ही चतुर और मोहित करने वाली बताते हुवे कहते है इसकी गिर्फत से जटाधारी साधु और सन्यासी भी नही बचे है ! माया के मोहीनी चाल को कबीर साहेब गजगामिनी कहते है जो अक्सर उन स्त्रियोंको कहा जाता है जो मस्ती भरी ठुमुक ठुमुक चलती और पुरूषोंको आकार्षित करती है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
No comments:
Post a Comment