पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 18
चाचर : 1 : 18
ग्यान ड़ाँग ले रोपिया , त्रिगुण दियो है साथ !
शब्द अर्थ :
ग्यान = हुशारी , शिक्षा ! ड़ाँग = ड़ाल , पेड ! ले = लेकर आये ! रोपिया = प्रात्यारोपित किया , लगाया ! त्रिगुण = मानव के स्वाभव , तिन देव का विचार ! दियो है साथ = धर्म मान्यता !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में कहते है विदेशी यूरेशियन वैदिकधर्मी ब्राहमिनो ने धर्म ग्यान के नाम पर जो वेद और भेद ऊचनीच जनेऊ अस्पृष्यता विषम0ता छुवाछुत का अधर्म और विकृती अपने साथ यूरेशिया से हिन्दुस्थान मे अपने साथ लाई उस गंदी ड़ाल को शाखा को यहाँ के मुलभारतिय हिन्दूधर्म के मूल वृक्ष पर प्रात्यारोपित किया ज़िसको वही जाती वर्ण अस्पृष्यता भेदभाव के विष भरे फल आये ! उपर से इन विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मियोने मानव मानव मे भेद ऊचनिच बनाने के लिये त्रीगुण सत रज तम की गलत धारणा निर्माण कर अस्पृष्यता विषमता शोषण को धर्म कहने लगे ! धर्मात्मा कबीर ने इस त्रिगुण विचार , त्रीदेव ब्रह्मा विष्णु महेश आदी बकवास को सिरे से खारीज किया !
धर्मविक्रमादित्य कबिरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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