बामसेफ , डीएसफोर और बीएसपी संस्थापक कांशीराम डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकरवादी थे ! उनहोने अम्बेडकर के संविधानिक आरक्षण एससी एसटी और ओबीसी की संख्या को इकठ्ठा कर 85 का आंकडा बनाया और और वर्ण जाती के आधार पर अपनी राजनैतिक शक्ति पेन के माध्यम से बताई ! इसमे ऊँहे कुछ सफलता भी मिली ! कांशीराम 15 : 85 के लिये हमेशा याद किये ज़ायेंगे जो बाबासाहेब का ही सुधारित रुप था !
बाबासाहेब और कांशीराम बाह्मण और उनके साथ जूडे तथाकथित स्वर्ण दुय्यम दर्जे के क्षत्रिय और वैश्य जो मुलरूपसे विदेशी वैदिक नही जो मुलभारतिय जाती वर्ण विहिंन हिंदूधर्मी ही थे पर विदेशी यूरेशियन वैदिकधर्म की सुन्दर ब्राह्मण स्त्रिया देवदासी अप्सरा मेंनका रंभा आदी और सोमरस होम बली के मांसाहार आदी के लिये हिंदूधर्म से धर्मांतर कर विदेशी यूरेशियन ब्राह्मण धर्म के कागजी स्वर्ण बने पर कभी ब्राह्मण पांडे पूजारी शंकराचार्य गुरु कभी नही बन पाये उनका 15 मे कांशिराम ने शामिल कर ज़िसकी ज़ितनी संख्या भारी ऊतनी उसकी भागीदारी के आम्बेडकर विचार को दोहराया !
बाबासाहेब आम्बेडकर और कांशीराम दोनो ने खुलकर कभी नही कहाँ ब्राह्मण विदेशी हैं ऊँहे भगावो इन्होने अपनी संख्या के आधार पर हिस्सेदारी आरक्षण सवलते मांगी !
नेटीव रूल मुव्हमेंट की स्थापना नेटीवीस्ट डी डी राऊत ने 1970 मे की और विदेशी ब्राह्मण केवल एक वर्ण सवर्ण हैं और वो 3 प्रतिशत हैं और बाकी अन्य सभी मुलभारतिय 97 प्रतिशत हैं यह बात साफ कर दी और बताया की तथाकथित क्षत्रिय वैश्य भी भूमिपुत्र आदिवाशी मुलभारतिय हैं और पूर्व के समतावादी मुलभारतिय हिंदूधर्मी ही हैं !
नेटीव रूल मुव्हमेंट ने 1970 मे नारा दिया विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो ! हिंदू वोही जो ब्राह्मण नही ! हिंदूधर्म और ब्राह्मणधर्म अलग अलग हैं ! हिंदुत्व वही ज़िसमे ब्राह्मण बिलकुल नही !
नेटीव रूल मुव्हमेंट ने मुलभारतिय विचार मंच बनाया , सत्य हिंदूधर्म सभा बनाई , नेटीव पिपल्स पार्टी बनाई , कास्टलेस सोसायटी ऑफ इन्डिया बनाई और मुलभारतिय हिंदूधर्म विश्वपीठ बनाया !
शत प्रतिशत मुलभारतिय राज और जाती वर्ण भेदभाव ऊचनिच अस्पृष्यता विषमता रहित मुलभारतिय हिंदूधर्म ही नेटीव रूल मुव्हमेंट का उद्देश हैं !
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