पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 1 : 15
चाचर : 1 : 15
सनक सनन्दन हारिया , और की केतकी बात !
शब्द अर्थ :
सनक - सनन्दन = भागवत पुराण में बताये चार बालक सनक , सनन्दन , सनातान और सनतकुमार बडे विरंची समझे जाते है ! हारिया = हार गये ! और = अन्य ! केतकी बात = कितनी कहें !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में भागवत पुराण जो वास्तव में भगवान बुद्ध से लेकर मौर्य काल के राम कृष्ण आदी के ज़िवनी पर आधारित है उसमे भगवान बुद्ध के चार मानस पुत्र सनक , सनन्दन , सनातन और सनतकुमार ज़िन्होने ब्राह्मणधर्मी नारद को बौद्ध भीक्कु बनाया था वे भी हार गये इस लिये कहाँ जाता है क्यू की किसी समय नारद विरंचीपन त्याग कर संसारी बने थे ! इन्हे बाद में विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के ब्रह्मा के मानस पुत्र बताये गये जो बचपन से ही विरंची थे ! शायद ये सभी बुद्ध के बच्चौ के लिये बनाये गये श्रामनेर संघ के सदश्य रहे हो जैसे राहुल थे और बुद्ध सभी बाल श्रामनेर को अपने मानस पुत्र ही मानते थे !
वैदिक ब्राह्मणधर्म ने बुद्ध की नकल कर श्रामनेर को बटु बना दिया और उसके लिये जनेऊ संस्कार निर्मांण किया ये बटु भी घर घर जा कर भिक्षा मांगते थे जैसे श्रामनेर , बौद्ध भीक्कु ! वामन नाम का एक ब्राह्मणधर्मी बटू को राजा बली ने केरला मे कुछ भुमी दान दी वही कोंकण केरला में विदेशी वैदिक ब्राह्मण टोलिया बनाकर बस गये और बाद में विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के कर्मकांड होमहवन, वर्णभेद विषमाता आदी का प्रचार करते रहे !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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