Tuesday, 7 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 12 : 4

पवित्र  बीजक  : प्रग्या बोध : बसंत  : 12 : 4

बसंत  : 12 : 4

आपन  आपन  चाहैं  मान , झूठ  प्रपंच  साँच  करि  जान  ! 

शब्द  अर्थ  : 

आपन  आपन  = विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  धर्मी  लोग  , पांडे  पूजारी  संकारचार्य  आदी  ! चाहैं  मान  = खुद  को  श्रेष्ठ  ग्यानी  पंडित  कहना ! झूठ  प्रपंच  = झूठा  वैदिक  ब्राह्मंण   धर्म  , झूठे  वेद  शास्त्र  , मनुसमृती  इत्यादी  ! साँच  करि  जान  = मेरा  ही  सच  है  कहना  , झूठे  को  सच  बताना  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  मे बताते  है  की  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  झूठे  है  उनका  वैदिक  ब्राह्मण  धर्म  झूठा  है  उनके  धर्मग्रंथ धर्म  शास्त्र  वेद  और  मनुस्मृती  ये  सब  झूठ  का  पुलिन्दा  है  वर्ण   जाती  ऊचनीच  शुद्र  अस्पृष्य  सब  झूठी  कल्पना  है  कोई  धर्म  नही  ये  अधर्म  और  विकृती  है  जो  वसाहतवाद  पुंजीवाद ब्राह्मणवाद   - मनुवादी   को  मजबुत  कर  मानव  का  शोषण  मुलभारतिय  लोगोंके  उत्पीड़न  , शोषण  और  गुलामी  के  लिये  बनाये   गये  है  ! ब्राहमिण  ग्यानी  पंडित  नही  विवेकहीन  निर्बुद्ध  लोग  है  जो  कहते  है  ब्रह्मा  के  मुख  से  ब्राह्मण  पैदा  हुवे  ! एसे  झूठोंको  मुलभारतिय  शिव  ने  सबका  सिखाया  और  ब्रह्मा  का  सर  काट ड़ालां  ! वर्ण जाती  भेदाभीद  को  अमान्य  कर  ब्राह्मण  कन्या  पार्वती  से  दुसरी  शादी  की  ! ब्राहमिनो  की  झूठी  शान  है  ब्राह्मण इंसान  नही  शैतान  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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