पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 11 : 8
बसंत : 11 : 8
हर हर्षित सो कहल भेव , ज़हाँ हम तहाँ दुसरा न केव !
शब्द अर्थ :
हर हर्षित = हर स्थिती मे आनन्दी , खूष , स्थितप्रद , निर्वाण पदस्थ , माया मोह तृष्णा रहित ! सो कहल भेव = डर किसका ! ज़हाँ हम = स्वाएं सिद्ध ! तहाँ दुसरा न केव = दुसारा विचार माया मोह का अमल नही !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में कहते है जो लोग माया मोह तृष्णा इच्छा रहित होते है उनहे किसी बात का डर भय चिंता नही होती है ! उनकी स्थिती उस परमात्मा परमतत्व चेतन राम जैसे होती है स्थितप्रग्य जैसे ,उनकी अवस्था मोक्ष निर्वाण जैसे होती है इच्छा डर लालच रहित कैसे कुछ लेना न देना मगन रहना , आत्म संतुस्टी से सदा आनन्दित ! वो राममय हो जाते है जैसे कबीर साहेब स्वयम है ! निराकार निर्गुण अजर अमर !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतरांम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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