Thursday, 2 October 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 11 : 8

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  बसंत  : 11 : 8

बसंत : 11 : 8

हर  हर्षित  सो  कहल  भेव , ज़हाँ  हम  तहाँ  दुसरा  न  केव  ! 

शब्द  अर्थ  : 

हर  हर्षित  = हर  स्थिती  मे आनन्दी  , खूष  , स्थितप्रद , निर्वाण  पदस्थ  , माया  मोह  तृष्णा  रहित  !  सो  कहल  भेव  = डर  किसका ! ज़हाँ हम  =  स्वाएं  सिद्ध  ! तहाँ  दुसरा  न  केव = दुसारा  विचार  माया  मोह  का  अमल  नही  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  में  कहते  है  जो  लोग  माया  मोह  तृष्णा इच्छा  रहित  होते  है  उनहे  किसी  बात  का  डर  भय  चिंता  नही  होती  है ! उनकी  स्थिती  उस  परमात्मा  परमतत्व  चेतन  राम  जैसे  होती  है  स्थितप्रग्य  जैसे  ,उनकी  अवस्था  मोक्ष  निर्वाण  जैसे  होती  है  इच्छा  डर   लालच  रहित  कैसे  कुछ  लेना  न  देना  मगन  रहना  , आत्म  संतुस्टी  से  सदा  आनन्दित  !  वो  राममय  हो  जाते  है  जैसे  कबीर साहेब  स्वयम  है  ! निराकार  निर्गुण  अजर  अमर  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतरांम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तांन  , शिवशृष्टी

No comments:

Post a Comment